स्वीकृति के 10 साल बाद भी नही बन सका उम्मीदों का स्वीमिंग पूल, माननीयों की उपेक्षा का दंश भोग रहें जिले के तैराक

विडबंना स्वीकृति के 10 साल बाद भी नही बन सका उम्मीदों का स्वीमिंग पूल, माननीयों की उपेक्षा का दंश भोग रहें जिले के तैराक

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-19 13:25 GMT
हाईलाइट
  • 2011 में सीएम शिवराज सिंह चौहान के हस्ते भूमिपूजन हुआ था
  • लम्बे अर्से के बाद भी यहां पर स्वीमिंग पूल की सौगात नही

डिजिटल डेस्क, बालाघाट। माननीयों की उपेक्षा का दंश बालाघाट के तैराको को अब भी भोगना पड़ रहा है। लम्बे अर्से के बाद भी यहां पर स्वीमिंग पूल की सौगात नही मिल सकी है। हैरानी की बात तो यह है कि यहां पर करीब दस साल पहले स्वीमिंग पूल निर्माण को लेकर बकायदा बाघ कालोनी के समीप भूमिपूजन भी किया जा चुका है लेकिन पूल निर्माण की आस तैराकों के बीच अब भी धुंधली बनी हुई है। कहने को तो कई मर्तबा मननीयों द्वारा स्वीमिंग पूल को लेकर घोषणा की जाते रही है, लेकिन धरातल पर इसके कार्य को लेकर अब सार्थक प्रयास नही किए गए है, यही वजह है कि शहर बालाघाट मे तैराको को यह सौगात नही मिल पा रही है। 

वर्ष 2011 में हुआ था भूमिपूजन 

जानकारी के अनुसार स्वीमिंग पूल के निर्माण के लिये वर्ष 2011 में  सीएम शिवराज सिंह चौहान के हस्ते भूमिपूजन किया गया, लेकिन आज तक स्वीमिंग पूल के निर्माण को लेकर कोई सार्थक परिणाम सामने नही आए है। ऐसी स्थिति में तैराकी का गुर सिखने के लिए बच्चो को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।  

मिला तो सिर्फ आश्वासन 

इस मामले को लेकर पूर्व में जिला तैराकी संघ ने भोपाल जाकर भी अपनी मांग रखी थी, लेकिन इस मुद्दे पर तैराको को सिर्फ आश्वासन ही मिला। वर्षाे पुरानी यह मांग आज भी अधूरी हैं कभी इस पूल के साईज को लेकर, तो कभी स्थल चयन को लेकर मामले अटकते रहे है।

नही दिला पाए बजट 

नगर में स्वीमिंग पूल निर्माण को लेकर दस साल में भी माननीय बजट नही ला पाए यहीं वजह रही कि बजट के अभाव में यहां पर उम्मीदो का स्वीमिंग पूल नही बन सका है। तैराको का कहना रहा कि बालाघाट शहर में ऐसी अधिकतर योजनाएं है जिनका क्रियान्वयन अब तक नही हो सका है। माननीयो की उदासीनता एवं इच्छाशक्ति के अभाव में शहर का विकास आज भी अवरुद्ध ही देखने को मिल रहा है।   

तो वैनगंगा में सिख रहें तैराकी के गुर

नगर सहित जिले भर में तैराकी एक ऐसा खेल है जिससे जुड़े लोगों की संख्या सैकड़ो में है, बालाघाट से दर्जन भर से अधिक बच्चो ने यहां की वैनगंगा नदी के तट पर तैराकी सीख कर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर जिले का परचम लहराया है, लेकिन तैराकी के लिये प्रशिक्षक और संसाधनो जिसमें सबसे अहम है पे्रक्टिस के लिये स्वीमिंग पूल की आवश्यकता की कमी उनकी प्रतिभा को आगे बढ़ाने में सब से बड़ा रोड़ा बनी हुई है।

ये है जिले के नेशनल खिलाड़ी 

एक जानकारी के अनुसार तैराकी की तरफ  से नेशनल खेलने गए बच्चों में अमित शर्मा, अश्वनी शेवलेकर  अजय बिसेन अप्रिया माहुले, अंकित चाल्र्स, हर्षित चाल्र्स शेला चाल्र्स, तनु रामप्रसाद बिसेन इनु रामप्रसाद  बिसेन, इंटरनेशनल खिलाड़ी है इन्हें वर्ष 2010 में भारत सरकार ने सम्मानित किया। वहीं इटली जर्मनी दुबई फ्रेंड्स फ्रांसिस्को डेनमार्क जकार्ता आदि देशों में तैराकी एवं सेलिंग में गई है। वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश एकलव्य अवॉर्ड एवं 2017 में विक्रम अवार्ड इन्हें प्राप्त हुआ है।

क्या कहते है प्रबुद्धजन

शहर में स्वीमिंग पूल निर्माण को लेकर दस साल पहले भूमिपूजन हो चुका है। बजट के अभाव में यह काम अटका है, प्रदेश सरकार को इस अधूरे काम को पूर्ण करने के लिए बजट स्वीकृत करना चाहिए।

अभय कोचर

तैराकी को बढ़ावा देने के लिए शहर में स्वीमिंग पूल का निर्माण बेहद जरूरी हो गया है। शहर के तैराको को तैराकी का गुर सीखने के लिए हर मोड़ पर मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। अर्से से यह मांग की जा रही है लेकिन माननीयो द्वारा इस संबंध में कोई कारगर कदम नही उठाए जा रहे है।

विशाल बिसेन

स्वीमिंग पूल की आस लम्बे अर्से से लोगों के बीच धुंधली है। शहर विकास को लेकर सकरात्मक कदम उठाए जाने की जरुरत है, ताकि शहर के बच्चे तैराकी का गुर सिख सके। शहर का विकास अब तक सिर्फ खयाली पुलाव ही बनकर रह गया है। 
 

Tags:    

Similar News