सरकारी जमीन के उपयोग के लिए पर्यावरण अनुमति जरूरी
कोर्ट ने कहा सरकारी जमीन के उपयोग के लिए पर्यावरण अनुमति जरूरी
डिजिटल डेस्क, नागपुर।. बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने जारी अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया कि किसी भी विकास कार्य, जिसमें केंद्र सरकार या रक्षा मंत्रालय की जमीन का उपयोग हो, उसमें पर्यावरण मंजूरी जरूरी है। ऐसे में राष्ट्रीय महामार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की यह धारणा गलत है कि अजनी इंटर मॉडल स्टेशन की जमीन रेलवे की है, इसलिए यहां पेड़ काटने के लिए पर्यावरण अनुमति जरूरी नहीं है। एनएचएआई अपने पक्ष पर पुनर्विचार करके कानून के अध्ययन के साथ सभी जरूरी अनुमतियां प्राप्त करे, यदि पर्यावरण मंजूरी जरूरी है तो नियमानुसार उसे प्राप्त करें।
दलील खारिज : इस निरीक्षण के साथ एनएचएआई की उस दलील को हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें एनएचएआई ने रेलवे अधिनियम के तहत िवशेषाधिकार होने के कारण अनुमति को अनावश्यक करार दिया था। न्या.सुनील शुक्रे और न्या.अनिल किल्लोर की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि रेलवे अधिनियम को पर्यावरण अधिनियम से वरीयता नहीं दी जा सकती।
सुनवाई जरूरी है : याचिकाकर्ता एड.श्वेता भुरभुरे और अजय तिवारी की ओर से अधिवक्ता एम.अनिल कुमार ने कोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, लेकिन हाईकोर्ट ने सुनवाई जरूरी समझा।
जिम्मेदारी का पेंच : मनपा की वृक्ष समिति और राज्य सरकार की वृक्ष समिति के बीच अजनी वन कटाई से जुड़े दावे-आपत्तियों पर सुनवाई के अधिकार किसके हैं, यह जिम्मेदारी दोनों समितियां नहीं स्वीकार कर रही हैं।
मोहलत : हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार की वृक्ष समिति को ही सारे दावे-आपत्तियों पर सुनवाई करके एक माह में फैसला लेना होगा। मनपा को सभी दस्तावेज राज्य वृक्ष समिति को सौंपने के आदेश दिए गए हैं। इसके पूर्व मनपा के अधिवक्ता जैमिनी कासट ने कोर्ट को बताया कि अजनी वन कटाई को लेकर मनपा को 7500 आपत्तियां मिली हैं, जिन पर सुनवाई जरूरी है।