झाडे जनजाति को न्याय दिलाने के लिए बेमियादी अनशन
गड़चिरोली झाडे जनजाति को न्याय दिलाने के लिए बेमियादी अनशन
डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। झाडे जनजाति में शामिल विभिन्न जातियों के लोगों को उनके अधिकार दिलाने के लिए चंद्रपुर-गड़चिरोली झाडे जनजाति समिति की ओर से इंदिरा गांधी चौक में बेमियादी अनशन शुरू किया गया है। अनशन के पहले दिन डा. सुशीलकुमार कोहाड के साथ समिति के अध्यक्ष अनिल मंटकवार, सचिव पुरुषोत्तम अर्कपटलावार, उपाध्यक्ष वासुदेव तुंकलवार, धनुजी मंटकवार, रमेश तुंकलवार, कमलाकर कोमलवार, रामदास कोमलवार, जनार्धन तुंकलवार, मिथुन पाकलवार, लोमेश तुंकलवार, प्रकाश मुसद्दीवार, विनायक पुरकलवार समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे। समिति के मार्गदर्शक और जनजाति के अध्ययनकर्ता डा. सुशीलकुमार कोहाड ने बताया कि, चंद्रपुर व गड़चिरोली जिले के विभिन्न स्थानों पर पिछले 100 वर्षों से झाडे जनजाति के नागरिक अपना गुजर-बसर कर रहें है। ब्रिटिश राजस्व रिकार्ड में इन लोगों का पंजीयन झाडे, झाड़ी, झाड्या, झाडि़या आदि नाम से किया गया था। मात्र राज्य पुनर्गठन कानून में इस जनजाति की सूची जोड़ी नहीं गयी।
फलस्वरूप इस जनजाति के नागरिक आज भी उपेक्षा का जीवन बीता रहे हैं। झाडे जाति के नाम पर इस समूह के लोगों को झाडे जाति का प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है। लेकिन जाति जांच समिति व दक्षता टीम की जांच में इस जाति का कहीं पर भी कोई उल्लेख नहीं होने से जाति जांच प्रमाणपत्र से लोगांे को वंचित रहना पड़ रहा है। जिसके कारण समाज के उच्च शिक्षित युवा आज भी सरकारी नौकरी और योजनाओं से वंचित हैं। इस जनजाति के अध्ययनकर्ता डा. कोहाड ने संशोधन की एक रिपोर्ट सरकार को पेश की है। साथ ही वर्ष 2012 से सकारात्मक आंदोलनों के साथ सरकार के साथ पत्र व्यवहार भी किया जा रहा है। बावजूद इसके झाडे जनजाति को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है। इस समुदाय के लोगांे को उनके अधिकार दिलाने के लिए ही रविवार से गड़चिरोली में बेमियादी अनशन शुरू किया गया।