पूर्वी भारत की पहली ट्राइबल यूनिवर्सिटी खुलेगी, विधानसभा में विधेयक पारित

झारखंड पूर्वी भारत की पहली ट्राइबल यूनिवर्सिटी खुलेगी, विधानसभा में विधेयक पारित

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-22 15:30 GMT
पूर्वी भारत की पहली ट्राइबल यूनिवर्सिटी खुलेगी, विधानसभा में विधेयक पारित

डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड में पूर्वी भारत की पहली ट्राइबल यूनिवर्सिटी की स्थापना की राह प्रशस्त हो गया है। झारखंड विधानसभा ने बुधवार को इससे जुड़े विधेयक को पारित कर दिया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि देश के विभिन्न राज्यों ने अपनी भाषा-संस्कृति को संरक्षण दिया है, लेकिन झारखंड में अब तक इसके बारे में ईमानदारी से नहीं सोचा गया था।

इसलिए हमारी सरकार ने अपने राज्य की भाषा-संस्कृति को अक्षुण्ण रखने के लिए ट्राइबल यूनिवर्सिटी खोलने का निर्णय लिया है।

प्रस्तावित यूनिवर्सिटी का नाम पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय होगा। पंडित मुर्मू को जनजातीय संताली भाषा का सबसे बड़ा संवर्धक माना जाता है। उन्होंने ओलचिकी का आविष्कार किया। संथाली भाषा की ज्यादातर कृतियों और साहित्य की रचना इसी लिपि में की गयी है।

उन्हें मयूरभंज आदिवासी महासभा ने उन्हें गुरु गोमके (महान शिक्षक) की उपाधि प्रदान की थी। यह विश्वविद्यालय उनकी स्मृतियों को समर्पित होगा। कुछ माह पहले हुए झारखंड की जनजातीय सलाहकार परिषद की बैठक में भी जनजातीय विश्वविद्यालय खोलने पर सहमति बनी थी। इसे धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने बुधवार को विधेयक पारित कराया।

यह यूनिवर्सिटी जमशेदपुर के गालूडीह और घाटशिला के बीच स्थापित होगी। सरकार ने इसके लिए 20 एकड़ जमीन भी चिह्न्ति कर ली है। विधेयक पर चर्चा के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि इसके माध्यम से जनजातीय भाषाओं और आदिवासी समुदाय की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को सहेजने, उन पर शोध करने तथा आदिवासी समाज के मेधावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जायेगा।

बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड में जनजातीय समुदाय की आबादी 26 प्रतिशत से अधिक है। जनजातीय समुदाय की अपनी भाषा-लिपि है। इसमें संथाली, खोरठा, कुरमाली आदि प्रमुख हैं।

झारखंड से सटे राज्यों बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बिहार में भी जनाजातीय समुदाय की आबादी है। ट्राइबल यूनिवर्सिटी के लिए जो जगह चिह्न्ति की गयी है, वह राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे है। विश्वविद्यालय का निर्माण होने से पड़ोसी राज्यों के विद्यार्थी भी लाभान्वित होंगे। फिलहाल बंगाल में कोई जनजातीय विश्वविद्यालय नहीं है, वहीं ओडिशा में एक निजी जनजातीय विश्वविद्यालय है।

 

(आईएएनएस)

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