कठिन है मोबाइल टॉवरों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की डगर    

दिल्ली कठिन है मोबाइल टॉवरों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की डगर    

Bhaskar Hindi
Update: 2022-04-30 13:27 GMT
कठिन है मोबाइल टॉवरों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की डगर    

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तमाम कोशिशों के बावजूद देश के लगभग दो-तिहाई मोबाइल टॉवर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से नहीं जुड़ पाए हैं। संचार मंत्रालय के मुताबिक देश में कुल 23,07,068 बेस ट्रांसीवर स्टेशनों (बीटीएस) में से 7,93,551 बीटीएस ही ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ पाए हैं। इस मामले में सरकार यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रही है कि मोबाइल संचार उपलब्ध कराने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले बीटीएस दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के होते हैं और संबंधित कंपनियों द्वारा फाइबर अथवा माइक्रोवेब सहित दूसरे माध्यम से जोड़ने का निर्णय तकनीकी और वाणिज्यिक महत्व के आधार पर लिया जाता है।

महाराष्ट्र में जुड़ पाए हैं सिर्फ 34.2 प्रतिशत बीटीएस
महाराष्ट्र में सिर्फ 34.2 प्रतिशत बीटीएस फाइबर से जुड़े हैं तो मध्यप्रदेश में यह प्रतिशत 34.3 है। इस मामले में छोटे राज्य बेहतर स्थिति में हैं। अंडमान और निकोबार में 71 प्रतिशत से ज्यादा बीटीएस ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ चुके हैं। संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव की मानें तो मोबाइल टॉवरों पर स्थापित बीटीएस को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने में मुख्य बाधा राज्यों की मार्गाधिकार (आरओडब्ल्यू) नीति केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित भारतीय टेलीग्राफ मार्गाधिकार नियम, 2016 के अनुरूप नहीं होना है। अनुरूपता नहीं होने के चलते दूरसंचार टॉवरों को फाइबर से जोड़ने के लिए मार्गाधिकार की अनुमति लेने में अनावश्यक विलंब होता है और शुल्क भी ज्यादा देना पड़ता है। हालांकि केन्द्र सरकार ने मार्गाधिकार संबंधी चुनौतियों को दूर करने और समान मार्गाधिकार के लिए कई कदम उठाए हैं। नतीजतन अब तक 32 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने अपनी मार्गाधिकार नीति को अधिकांशतया भारतीय टेलीग्राफ आरओडब्ल्यू नियमावली, 2016 के अनुरूप कर लिया है। मंत्री ने बताया कि दूरसंचार विभाग आरओडब्ल्यू की अनुमतियों के लिए केन्द्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।

राज्य         बीटीएस की संख्या     फाइबर से जुड़े बीटीएस
महाराष्ट्र            2,40,951           82,513
मध्यप्रदेश          1,18,763            40,701
उत्तरप्रदेश          2,89,326            89,058
पश्चिम बंगाल     1,46,574             51,033
गुजरात             1,40,066            50,177
बिहार              1,02,938            31,055
अंडमान और निकोबार   702                499
                          (आंकड़े फरवरी, 2022 के हैं)

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