RIP: आर्य समाज के अग्रणी नेता स्वामी अग्निवेश का 80 साल की उम्र में निधन, शाम 6:30 पर ली अंतिम सांस
RIP: आर्य समाज के अग्रणी नेता स्वामी अग्निवेश का 80 साल की उम्र में निधन, शाम 6:30 पर ली अंतिम सांस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आर्य समाज के जाने-माने नेता, स्वामी अग्निवेश ने आज (शुक्रवार, 11 सितंबर) नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज में अंतिम सांस ली। वे 80 साल के थे और लिवर सिरोसिस से पीड़ित थे। बीते कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक थी। मल्टीपल फेल्योर के कारण मंगलवार से वो वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी थे। शुक्रवार 11 सितंबर को उनकी हालत बिगड़ गई और शाम 6 बजे कार्डियक अरेस्ट भी आया, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की तमाम कोशिश की, लेकिन शाम 6:30 बजे उनका निधन हो गया। यह जानकारी आईएलबीएस की ओर से जारी की गई है। बता दें कि स्वामी अग्निवेश सामाजिक कार्यकर्ता के साथ समाज सुधारक और राजनेता भी थे।
1977 में विधायक बन हरियाणा के शिक्षा मंत्री रह चुके थे स्वामी अग्निवेश
21 सितंबर, 1939 को जन्मे स्वामी अग्निवेश सामाजिक मुद्दों और सुधार जैसे मुद्दों पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 1970 में आर्य सभा नाम की राजनीतिक पार्टी बनाई थी। 1977 में वह हरियाणा विधानसभा में विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे। 1981 में उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के संगठन की स्थापना की।
अन्ना टीम का हिस्सा रहे स्वामी अग्निवेश
2011 में जन लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन कर रही अन्ना हजारे की टीम में भी स्वामी अग्निवेश का अहम रोल रहा था। जंतर-मंतर पर अन्ना के अनशन के दौरान अग्निवेश भी अन्ना के साथ रहे थे। हालांकि कई मुद्दों पर सिविल सोसायटी और अग्निवेश के बीच मदभेद भी पैदा हुए। जिसके बाद वो टीम अन्ना से अलग हो गए।
टीवी शो बिग बॉस में भी लिया था हिस्सा
स्वामी अग्निवेश टीवी रियलिटी शो बिग बॉस के पांचवे सीजन में हिस्सा लिया था। वह 8 से 11 नवंबर 2011 के दौरान तीन दिन के लिए बिग बॉस के घर में रहे थे।
बंधुआ मजदूरी के खिलाफ चलाया आंदोलन
आर्य समाज का काम करते-करते 1968 में उन्होंने एक राजनीतिक दल बनाया था जिसका नाम था आर्य सभा। 1981 में उन्होंने दिल्ली में बंधुआ मुक्ति मोर्चा की स्थापना भी की। स्वामी अग्निवेश ने हरियाणा से चुनाव लड़ा और मंत्री भी बने लेकिन मजदूरों पर लाठी चार्ज की एक घटना के बाद उन्होंने राजनीति से इस्तीफा दे दिया था। बंधुआ मजदूरी के खिलाफ उनकी दशकों की मुहिम जगजाहिर है। बंधुआ मजदूरी के अलावा स्वामी अग्निवेश ने रूढ़िवादिता और जातिवाद के खिलाफ भी आवाज उठाई। अस्सी के दशक में उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश पर लगी रोक के खिलाफ भी आंदोलन चलाया था।
नक्सलियों के संग सांठगांठ का लगता रहा आरोप
स्वामी अग्निवेश हमेशा अपनी विवादित टिप्पणियों के लिए चर्चा में रहते रहे। इसके साथ ही उन पर नक्सलियों से सांठगांठ और हिंदू धर्म के खिलाफ दुष्प्रचार का आरोप भी लगता रहा है। इस वजह से भारत में अनेकों अवसरों पर उनके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन भी हुए। उनकी छवि एक सामाजिक कार्यकर्ता, सुधारक और संत की रही, लेकिन सरकार में वह नक्सलियों पर अपनी पकड़ के लिए जाने जाते थे। नक्सलियों से जब भी बात करनी हो तो उनका नाम जरूर अगुआ के तौर पर हमेशा आगे रहा। 2010 में गृहमंत्री पी चिदंबरम ने स्वामी अग्निवेश से नक्सलियों के साथ बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया था।