3 साल से अधर में लटका है 37 करोड़ के फ्लाई ओवर का निर्माण  

 3 साल से अधर में लटका है 37 करोड़ के फ्लाई ओवर का निर्माण  

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-02 07:40 GMT
 3 साल से अधर में लटका है 37 करोड़ के फ्लाई ओवर का निर्माण  

डिजिटल डेस्क, सतना। शहर के सेमरिया चौक में निर्माणाधीन फ्लाई ओवर की फाइल भोपाल में फंसने से एक बार फिर काम अधर में लटक गया है। हालांकि अब तक फ्लाई ओवर का 70 फीसदी से अधिक काम हो चुका है। दरअसल सेमरिया चौक के बीच में स्टील गर्डर का कार्य किया जाना है। इस काम में उपयोग होने वाले स्टील के रेट तय किए जाने के लिए फ्लाई ओवर ठेकेदार ने चार माह पहले सेतु निर्माण विभाग के भोपाल मुख्यालय चीफ इंजीनियर के पास भेजा है। वहां से अभी तक रेट तय नहीं हो पाए। जिस वजह से स्टील गार्डर के लिए आर्डर भी अधर में लटका हुआ है। सूत्रों की माने तो ठेका कंपनी स्काई लार्क इंफ्रा को इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए दूसरा एक्सटेंशन दिया गया है। इसे जुलाई 2019 तक में पूरा करना है। इन स्थितियों में तो नहीं लग रहा कि यह प्रोजेक्ट दूसरी बार तय किए गए समय में हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि 37 करोड़ की लागत से जनवरी 2016 में निर्माण कार्य शुरू किया गया था। जिसे 28 माह में मई 2018 में पूरा करना था जो अब तक नहीं हो पाया।

850 टन लोहा का होना है उपयोग
देश के सर्वोच्य तकनीकी शैक्षणिक संस्थान आईआईटी से फ्लाई ओवर के बीच के हिस्से की डिजाइन तैयार कराई गई। यह काम पूरा होने के बाद अब स्टील गर्डर के रेट की मंजूरी में फंस गया है। सूत्रों की माने तो सेमरिया चौक में रीवा रोड, सर्किट हाउस और बिरला रोड के मिलने वाले स्थान में करीब 850 टन लोहा का इस्तेमाल किया जाना है। 

मिला दूसरा एक्सटेंशन
फ्लाई ओवर का निर्माण करने वाले कंपनी स्काई लार्क इंफ्रा के द्वारा काम करने के लिए दूसरी बार समय सीमा में वृद्वि की गई है। अब नई समय सीमा जुलाई2019 तय की गई है। इसके पहले मई 2018 में जिसमें दिसंबर 2018 तक की समय सीमा बढ़ाई गई थी। 

ड्रेनेज का काम भी अूधरा 
फ्लाई ओवर से जुड़े जिन कार्यों को अनुमति मिल गई उसे भी स्काई लार्क इंफ्रा कंपनी तेजी के साथ करने की बजाय धीमी गति से कर रही है। अभी भी ड्रेनेज का कार्य अधूरा है। बहुत ही सुस्त रफ्तार से काम किया जा रहा है।

इनका कहना है
सर्विस लेन का काम पूरा हो चुका है। सेमरिया चौक में स्टील गर्डर का कार्य शेष है। रेट की मंजूरी अभी नहीं मिली। - दिव्यानी सिंह, एसडीओ सेतु निगम पीडब्ल्यूडी
 

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