आशुतोष की अगुवाई में कामगारों की आवाज बनती जा रही कांग्रेस
मध्यप्रदेश में असंगठित क्षेत्र की समस्यायें आशुतोष की अगुवाई में कामगारों की आवाज बनती जा रही कांग्रेस
डिजिटल डेस्क, बालाघाट। 16 नवम्बर 2017 को इंडियन नेशनल काँग्रेस द्वारा एक नए विभाग असंगठित कामगार काँग्रेस की स्थापना की गयी।मध्यप्रदेश में भी 8 फरवरी 2018 को इसका पहला चैयरमेन नियुक्त किया गया।प्रदेश के बालाघाट जिले के एक छोटे से क़स्बे कटंगी से आने वाले आशुतोष बिसेन पूर्व से ही स्ट्रीट बेंडर्स और असंगठित श्रमिकों की प्रदेश में आवाज़ बन चुके थे,ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने असंगठित क्षेत्र की जिम्मेदारी युवा कार्यकर्ता आशुतोष सोमेश्वर बिसेन को दी । वर्तमान में वे असंगठित कामगार एवं कर्मचारी काँग्रेस मध्यप्रदेश (MPKKC) के प्रदेश अध्यक्ष है। राजनैतिक पृष्टभूमि से आने वाले आशुतोष की माँ श्रीमती केशर बिसेन बालाघाट से जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है,श्री बिसेन प्रारंभ से असंगठित क्षेत्र एवं किसान आंदोलन से जुड़े रहे है,आशुतोष मेंश्रमिकों के उत्थान हेतु कार्य करने की ललक जागी और माँ के संघर्षो को प्रेरणा मानकर प्रदेश की राजनीति में कदम रखा। वे असंगठित क्षेत्र की समस्याओं के बारे में बताते है कि इस क्षेत्र का कोई दायरा नहीं है,करोडो श्रमिक इसमें समाहित है । वे लगातार कई वर्षो से इन लोगों के बीच काम कर रहे है।
किसी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, स्थानीय बाजार या सड़क किनारे खड़े होकर या फेरी लगाकर दिन-प्रतिदिन के कार्यों में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं को बेचकर आजीविका चलाने वाले पथ विक्रेताओं (स्ट्रीट वेंडर्स) से हम सभी का सामना अक्सर होता है। ये वेंडर्स स्वरोजगार के माध्यम से न केवल अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं बल्कि उपभोक्ताओं को सस्ते दर पर उनकी सहूलियत वाली जगह पर सामान उपलब्ध कराकर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाते हैं।रेहड़ी पटरी व्यवसायी और फेरीवाले समाज में हमेशा से हाशिए पर रहे हैं। आजीविका कमाने और दूसरों के लिए रोजगार पैदा करने वाले ये छोटे दुकानदार और फेरीवाले तमाम सरकारी कल्याणकारी सुविधाओं जैसे सरकारी ऋण, सुरक्षा बीमा योजनाओं आदि से भी वंचित रह जाते हैं।यही नहीं शासन और प्रशासन द्वारा भी इन्हें शहर की समस्या में इजाफा करने वाले और लॉ एंड ऑर्डर के लिए खतरे के तौर पर देखा जाता है। लॉ एंड ऑर्डर कायम रखने के नाम पर प्रशासन द्वारा अक्सर रेहड़ी पटरी वालों के व्यवसाय को उजाड़ने, सामानों की जब्ती, विक्रेताओं के साथ बदसलूकी जैसे कार्य किए जाते हैं।कोरोना काल में प्रदेश के कई स्थानों से इस तरह मामले सामने आ चुके है।
आशुतोष बिसेन ने जिम्मेदारी मिलने के बाद बिभिन्न जिलों का दौरा शुरू किया और प्रदेश के जबलपुर, इंदौर,भोपाल जैसे महानगरों में जहाँ स्ट्रीट वेंडर्स की बहुतायत है उनके लिए स्ट्रीट वेंडर्स प्रोटेक्शन अधिनियम बनाने के लिए सरकार पर दबाब बनाया जिसका फायदा प्रदेश के स्ट्रीट वेंडर्स को कोरोना काल के बाद मिला जहाँ प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें विवशता वश 10000/- देने पड़े ।यह एक व्यापक कानून के तहत घरेलु कामगारों के अधिकारों की माँग के लिए प्रदेश में अभियान था।
घरेलु महिला कामगारों के हितो,संरक्षण हेतु आशुतोष बिसेन द्वारा प्रदेश सदस्यो एवं महिला कामगारों के साथ राजभवन का घेराव किया जिसमें महिला कामगारों की विभिन्न माँगो को लेकर कहा इन्हें निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की तरह न्यूनतम मजदूरी, काम के घंटों का निर्धारण, साप्ताहिक अवकाश आदि की सुविधाएं मिलनी चाहिए।घरेलू महिला कामगार श्रमिकों का एक ऐसा वर्ग है, जिसका शोषण आज भी जारी है। कहने को भले ही ये कामगार हों, लेकिन इन्हें नौकरानी ही माना जाता है। इनमें से कुछ अनेक घरों में कार्य करती हैं, तो कुछ एक ही घर में सीमित समय के लिए काम करती हैं, जबकि कुछ एक घर में पूर्णकालिक काम करती हैं। इन घरेलू महिला कामगारों के साथ तरह-तरह की क्रूरता, अत्याचार और शोषण होते हैं। घरेलू महिला कामगारों के खिलाफ अत्याचार के मामले आए दिन सामने आते रहते हैं। लेकिन ऐसे मामले अक्सर तभी सामने आते हैं, जब कोई बड़ी या भयावह घटना होती है, वर्ना तो ज्यादातर महिला कामगारों की चीख कोठियों की चारदीवारी में घुटकर रह जाती है। रोजी-रोटी छिनने के डर से ये अपने साथ हो रहे हिंसा की शिकायत भी नहीं कर पातीं।
आशुतोष बिसेन ने बताया कि MP KKC पुरजोर संघर्ष कर रहा है कि सभी मनरेगा कामगारों को वो सभी लाभ एवं सुविधाएं मिल जाए जो अभी कंस्ट्रशन लेबर को मिलता है। देश में ग्रामीण इलाको में रोजगार की सबसे बड़ी केंद्रीय योजना मनेरगा में प्रदेश में पिछले साल 1.14 करोड़ श्रमिकों ने काम माँगा लेकिन सिर्फ 25.78 श्रमिकों को काम मिला जो कुल 22.7 आता है ।ऐसे में कोरोना काल के बाद जिन्हे काम नहीं मिला उनकी परिवारिक आर्थिक स्थिति कैसी रही होगी यह सोचने वाली बात है। इस समय सबसे ज्यादा जरूरत इन्हें काम की थी।
प्रदेश के प्रीतमपुर,मंडीदीप जैसे इंडस्ट्रियल एरियाज में कार्य करने हेतु लेबर सप्लाई की जाती है जो मुख्य कम्पनी द्वारा आउटसोर्स कम्पनीज या ठेकेदार से प्रतिबन्ध ( कॉन्ट्रैक्ट ) के आधार पर पहुँचाई जाती है, ऐसे में इन श्रमिकों का कम्पनीज और ठेकेदार लगातार शोषण किया जाता है ,श्रमिकों से बारह बारह घंटो तक कार्य कराया जाता है।
शासकीय विभाग हो या अशासकीय अब इन जगहों पर भी पढ़े लिखे युवाओं को नौकरिया इन आउटसोर्स कम्पनीज द्वारा दी जा रही है ,प्रदेश का मुख्यमंत्री निवास हो या पुलिस विभाग या अन्य कोई विभाग ,हर जगह इसी तरह नौकरिया प्रदान की जा रही है।इन विभागों में फण्ड नहीं आया ऐसा कहकर विभाग इन कर्मचारियों की तन्खा नहीं देते और अपना पल्ला झाड़ लेते है, कर्मचारी अपनी सैलरी पाने कम्पनीज के लोकल ऑफिस के चक्कर लगता रहता है या कंपनियां अन्य राज्यों की होने के कारण वहाँ पहुँच नहीं पता। Act 1970 में कॉन्ट्रैक्ट लेबर के लिए पू र्ण व्यवस्था की गयी है कि किसी भी किस्म का शोषण ,आर्थिक या अन्य किसी भी प्रकार का शोषण न किया जाये लेकिन प्रदेश में इसकी वास्तविकता अलग है लगभग सभी कॉन्ट्रैक्ट लेबर/कर्मचारी किसी न किसी शोषण का शिकार होते है ऐसे में MPKKC इसकी आवाज़ बनेगा।
बिसेन आगे बतलाते है कि मध्यप्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है ,कृषि कार्यो को पूरा करने हेतु विभिन्न राज्यों से तथा प्रदेश के एक जिले से दूसरे जिले तक श्रमिक आते जाते है।फसलों की कटाई से लेकर गुड़ बनाने तक का कार्य इनके द्वारा किया जाता है ,प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की गुड़ मंडी का गुड़ सम्पूर्ण देश में प्रसिद्द है,इसे बनाने के लिए जो श्रमिक गुड़ भट्टीयों में काम करते है वह मुख्यतः उत्तर प्रदेश के होते है। कृषि कार्य के दौरान कोई अनहोनी की स्थिति में न इनका बीमा होता है और न ही आने जाने की स्थिति में कोई हादसा होने पर किसी प्रकार का कोई मुआवजा इनके परिवार वालो को प्राप्त होता है।
Act 1979 माइग्रेंट वर्कर्स की सुरक्षा हेतु सभी प्रावधान ठेकेदारों के लिए किये गए है लेकिन प्रदेश में कभी इन्हे सख्ती से लागु नहीं किया गया। विभिन्न जिलों में जिला श्रम अधिकारियो के पास तो इन माइग्रेंट वर्कर्स का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता। आशुतोष बिसेन बताते है कि प्रदेश में ऐसी कई श्रमिक है जिन्हे यह नहीं पता की वो असंगठित श्रमिको की श्रेणी में आते है ,इनके कार्यो के हिसाब से असंगठित क्षेत्र में इन्हे वर्गीकृत किया गया है। फिल्पकार्ट ,अमेज़न,स्विग्गी,जोमाटो इत्यादि कम्पनियो के लिए डिलेवरी व अन्य कार्य करने वाले भी असंगठित क्षेत्र के दायरे में आते है।मध्यप्रदेश में जल्द ही इन श्रमिको की स्थिति में बदलाव आएगा और यह बेहतर जीवन प्राप्त करेंगे।
हम प्रयासरत है कि प्रदेश सरकार द्वारा ट्रांसपोर्ट ऑटो वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की जाये ,साथ ही घरेलू कामगार महिलाओं की सुरक्षा हेतु एक बोर्ड बनाया जाये।इन महिलाओ के बच्चों के लिए पढ़ाई ,हायर एजुकेशन लोन और मेडिकल की सुविधाएं प्रदान की जाये।MPKKC इसे बनवाने के लिए संकल्पित है प्रदेश में लाखों लोग ऑटो ,टैक्सी ,पब्लिक ट्रांसपोर्ट एवं अन्य गाड़िया चलते है ऐसे में इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी रहेगी?
"मध्यप्रदेश कामगार एवं कर्मचारी काँग्रेस" का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के शोषित पीड़ित कर्मचारी,श्रमिकों के अधिकारों को उठाना और उन्हें हल कराने के लिए कदम विकसित करना है जिससे न्यूनतम मजदूरी और अन्य सुविधाओं से वंचित कामगारों को उनके हक़ दिलाये जा सके इस समय सबसे अधिक मुश्किल में छोटा कर्मचारी निजी एवं शासकीय क्षेत्र में काम करने वाला कामगार है जिसकी बात कोई नहीं करता।