मजबूरी का सौदा : 5500 का प्लाज्मा 20 हजार में बिक रहा
मजबूरी का सौदा : 5500 का प्लाज्मा 20 हजार में बिक रहा
डिजिटल डेस्क,नागपुर। शहर से इन दिनों इंसानियत दूर चली गई है। ब्लड बैंकों में कोरोना संक्रमितों की मजबूरियों का सौदा किया जा रहा है। प्लाज्मा के नाम पर अनाप-शनाप वसूली हो रही है। शहर में रोज नए-नए मामले देखने को मिल रहे हैं। कभी रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए, कभी प्लाज्मा के लिए हजारों रुपए, तो कभी अस्पताल का बिल लाखों में वसूला जा रहा है। प्लाज्मा थैरेपी के नाम पर मरीजों से 20 से 25 हजार रुपए लिए जा रहे हैं, जबकि सरकार ने ब्लड बैंक में प्लाज्मा के रेट 5500 फिक्स कर दिए हैं। कोरोनाग्रस्त मरीजों को प्लाज्मा थैरेपी में प्रति डोज 200 मिली. प्लाज्मा चढ़ाना पड़ता है। ब्लड बैंक वाले इसी का मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। कुछ ऐसे लोगों ने दैनिक भास्कर से आपबीती सुनाई, जिन्होंने मात्र 200 एमएल प्लाज्मा के लिए 20 हजार रुपए तक कीमत चुकाई है।
यहां सब के सब लूटने बैठे हैं
पारडी निवासी अमर साहू ने बताया कि डॉक्टर ने कहा कि 60 वर्षीय मरीज को प्लाज्मा की आवश्यकता है। हमारे परिवार के सभी सदस्य प्लाज्मा की व्यवस्था करने में लग गए। कई ब्लड बैंकों में पूछा गया। किसी तरह एक ब्लड बैंक से प्लाज्मा मिला, लेकिन उसकी कीमत 15 हजार रुपए थी। हमारे मरीज के लिए प्लाज्मा की आवश्यकता थी, इसलिए हमने 5500 का प्लाज्मा 15 हजार में खरीदा। इतनी बुरी स्थिति में भी ब्लड बैंक वाले अपना फायदा देख रहे हैं। मदद करने वाला कोई नहीं है, सब लूटने ही बैठे हैं।
अब तो खत्म हो गई है मानवता
धंतोली निवासी शालिनी चौबे ने बताया कि मेरी जेठानी को प्लाज्मा चढ़ाने के लिए बोला गया। हमने कई जगह प्रयास किया, बहुत मुश्किल हो रही थी प्लाज्मा की व्यवस्था करने में। हमें एक ब्लड बैंक की जानकारी मिली, वहां प्लाज्मा मिल गया। ब्लड बैंक वालों ने प्लाज्मा के बदले हमसे 20 हजार रुपए लिए। हमने उसकी शिकायत करने के बारे सोचा, लेकिन फिर सोचा कि हमारा मरीज अस्पताल में भर्ती है। इसलिए पहले उसको देखना है। हर तरफ लूट मची है। ऐसा लगता है कि मानवता खत्म हो गई है।
प्लाजमा देने के बाद भी नहीं बची जान
स्नेह नगर निवासी महेश जाधव ने कहा कि मेरे ससुर 20 मार्च को कोरोना पॉजिटिव हुए थे। डॉक्टर ने उन्हें प्लाज्मा चढ़ाने को कहा। हमने 15 हजार रुपए देकर प्लाज्मा खरीदा। प्लाज्मा चढ़ाने के बाद भी ससुर जी की डेथ हो गई। मरीज को कब क्या हो जाएगा, समझ में ही नहीं आ रहा है।