नहीं होना चाहिए महिलाओं का उत्पीडन, आंतरिक परिवाद कमेटी के गठन से स्कूलों को ऐतराज क्यों
नहीं होना चाहिए महिलाओं का उत्पीडन, आंतरिक परिवाद कमेटी के गठन से स्कूलों को ऐतराज क्यों
डिजिटल डेस्क,दमोह। स्कूल कोई भी हो निजी या शासकीय यदि इनमें आंतरिक परिवाद कमेटी का गठन नहीं किया गया तो स्कूल पर 50 हजार का जुर्माना ठोक दिया जाएगा। बार-बार निर्देश देने के बाद भी जब स्कूलों ने इस पर अमल नहीं किया तो संचालक स्कूल शिक्षा विभाग ने एक कड़ा पत्र जारी करते हुए आपत्ति जताई है। महिला सशक्तिकरण विभाग के अंतर्गत कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोष अधिनियम 2013 के अनुसार प्रत्येक ऐसे कार्य स्थल जहां 10 से अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं तथा जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। ऐसे प्रत्येक शासकीय अशासकीय निजी कार्य स्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन एवं डिस्प्ले बोर्ड लगाना अनिवार्य है।
जिला महिला सशक्तिकरण अधिकार के अनुसार यदि ऐसे कार्य स्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन नहीं किया गया तो अधिनियम की धारा 26 के अनुसार 50 हजार की राशि जुर्माने का प्रावधान है। संचालक स्कूल शिक्षा विभाग ने जिले के समस्त शासकीय अशासकीय निजी एवं प्राइवेट कार्यालय में शीघ्र आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना सुनिश्चित किया जाए ।
निर्देशों की अवहेलना का अर्थ है
लोक शिक्षण संचालक ने जिला शिक्षा अधिकारी से पूछा है कि बार-बार आदेशों की अवहेलना क्यों की जा रही है आंतरिक परिवाद कमेटी गठन करने के लिए बहुत पहले ही निर्देश दिए जा चुके हैं । बावजूद इसके स्कूलों ने कमेटी का गठन नहीं किया है। जिला शिक्षा अधिकारी को कड़े शब्दों में हिदायत दी गई है कि इस बार निर्देशों का पालन नहीं होता है तो अधिकारियों को भोपाल आ कर जवाब देना होगा साथ ही 50 हजार का जुर्माना भी चुकाना पड़ेगा।
क्या है आंतरिक परिवाद कमेटी
महिलाओं का लैंगिक उत्पीडन निवारण प्रतिषेध एवं प्रतितोष अधिनियम 2013 के अनुसार प्रत्येक ऐसे कार्य स्थल जहां 10 से अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं तथा जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं ऐसे प्रत्येक शासकीय अशासकीय प्राइवेट कार्य स्थलों पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन एवं डिस्प्ले बोर्ड लगाना अनिवार्य है।