उद्धव ठाकरे को सीएम शिंदे का जवाब, हां, मैं ठेके पर नियुक्त मुख्यमंत्री हूं, राज्य के विकास का ठेका लिया है
महाराष्ट्र सियासत उद्धव ठाकरे को सीएम शिंदे का जवाब, हां, मैं ठेके पर नियुक्त मुख्यमंत्री हूं, राज्य के विकास का ठेका लिया है
डिजिटल डेस्क, मुंबई। शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के बयान पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि ‘हां मैं ठेके पर नियुक्त मुख्यमंत्री हूं और मैंने महाराष्ट्र के विकास का ठेका लिया है।विधानसभा में अंतिम सप्ताह प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मैंने राज्य की जनता को न्याय देने, उनका दुख दूर करने, राज्य को ज्यादा समृद्ध करने, बालासाहेब के हिंदुत्व के विचारों को आगे ले जाने, बहुजन समाज के सर्वांगीण विकास का ठेका लिया है।
शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि गलत लोगों की संगत से ठेके का मुख्यमंत्री होना ज्यादा अच्छा है। शिंदे ने कहा कि मुझे ठेके का मुख्यमंत्री बताया जा रहा है लेकिन जब नारायण राणे ने मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) को लेकर बयान दिया था तो केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था।
गिरफ्तारी के वक्त वे खाने बैठे थे लेकिन खाना नहीं खाने दिया गया। शिंदे ने कहा कि देश के संविधान के मुताबिक मैं बहुमत साबित कर इस कुर्सी पर बैठा हूं। वरना अदालत ने हमें हटा दिया होता। शिंदे ने कहा कि विपक्ष के पास अब मुद्दे नहीं बचे हैं और वह वैचारिक रुप से दिवालिया हो गया है। उन्होंने कहा कि सभी को मर्यादा का पालन करना चाहिए। मैं काम के जरिए इन टिप्पणियों का जवाब दूंगा। बता दें कि उद्धव ठाकरे ने शिंदे को ठेके का मुख्यमंत्री बताया था। साथ ही उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि अब दूसरों के विधायक सांसद चुराना ही उनका मकसद रह गया है।
दादा आपने कर दी जल्दबाजी
मुख्यमंत्री शिंदे ने विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार पर भी निशाना साधते हुए देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथ लेने के मुद्दे पर कहा कि दादा आपने जल्दबाजी कर दी। धीरज से काम लिया होता तो कार्यक्रम करेक्ट होता। वर्ष 2019 में फडणवीस व अजित पवार के सुबह सवेरे वाले शपथ ग्रहण के घटनाक्रम की चर्चा करते हुए शिंदे ने बताया कि उस वक्त मुझे (उद्धव ठाकरे का) फोन आया, पूछा गया कि तुमने टीवी देखा।
क्या यह पहले का दिखा रहे हैं? जयंतराव को फोन कर रहा हूं, लेकिन वे फोन नहीं उठा रहे हैं। मैंने कहा जयंतराव भी वहां चले गए। हालांकि वे गए नहीं थे। जयंतराव आप जाते तो कार्यक्रम एकदम ओके होता। शिंदे ने कहा कि सत्ता का ताम्रपट बांध कर कोई नहीं आता। संजय राऊत पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा कि लोग कहते थे कि वे 25 साल सत्ता में रहेंगे, लेकिन लोग बाहर रहते हैं, अंदर जाते हैं।
राज्य के हित में जाता हूं दिल्ली
विपक्ष के बार-बार दिल्ली जाने के आरोप पर शिंदे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश का डंका पूरे विश्व में बजाया है। मैं इंदिरा गांधी का फैन था, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के कंधे पर हाथ रखकर चलने वाले आपने कहीं देखा है। आपको महासत्ता से दिक्कत क्या है? ऐसे व्यक्ति से मिलने से क्या परेशानी है? मैं दिल्ली ओबीसी आरक्षण मामले को लेकर गया था, और उसका अच्छा परिणाम भी देखने को मिला। विभागों के वितरण के लिए दिल्ली नहीं गया था। जो अच्छा काम करता है, उसके पास जाना गलत है? राज्य के हित में है, वह करना चाहिए।
कांग्रेस का हाल पहले जैसा
कांग्रेस पर प्रहार करते हुए शिंदे ने कहा कि पार्टी की स्थिति पहले जैसी है। उन्होंने बाला साहेब थोरात से पूछा कि विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे की नियुक्ति के लिए आपसे पूछा गया? आपने भी बयान दिया था कि हमसे सलाह-मशविरा किए बगैर दानवे की नियुक्ति कर दी गई।
बालासाहेब ने कहा था कांग्रेस, एनसीपी वैचारिक शत्रु
विधानभवन परिसर में विधायकों की आपसी धक्का मुक्की पर शिंदे ने कहा कि तीन दिनों से गद्दार. गद्दार, खोखे... खोखे चल रहा था। उन्हें हमारे विधायकों की नारेबाजी के बाद आगे जाना चाहिए था। हमने बाला साहेब ठाकरे के विचारों से गद्दारी नहीं की। बाला साहेब का कहना था कि कांग्रेस-राकांपा अपने शत्रु हैं, जिस दिन उनके नजदीक जाना पड़ेगा, उस दिन राजनीति छोड़ देंगे। हमने गलती को ठीक किया है। हम बाला साहेब ठाकरे के विचारों को लेकर आगे चल रहे हैं।
परेशान वहीं, जो दूसरों की खुशियों से त्रस्त
शिंदे ने एक कविता पढ़ते हुए कहा कि जीवन उसी का मस्त है। जो समाज की उन्नति में व्यस्त है, परेशान तो वहीं जो दूसरों की खुशियों से त्रस्त है। विपक्ष की तरफ से कवि की टिप्पणी पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरे पास टैलेंट है, लेकिन तुमने कभी मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं दिया।