दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिलाने में छत्तीसगढ़ पुलिस देश में सबसे आगे : कहीं दो दिन में पेश किया चालान, तो कहीं एक माह में ही हुई आजीवन कारावास की सजा!

दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिलाने में छत्तीसगढ़ पुलिस देश में सबसे आगे : कहीं दो दिन में पेश किया चालान, तो कहीं एक माह में ही हुई आजीवन कारावास की सजा!

Bhaskar Hindi
Update: 2021-02-20 08:43 GMT

डिजिटल डेस्क | महिला उत्पीड़न के मामलों में त्वरित विवेचना कर आरोपियों को शीघ्र सजा दिला रही छत्तीसगढ़ पुलिस सुपर इंवेस्टिगेटर्स 16 पुलिसकर्मियों का किया गया सम्मान| महिला विरुद्ध अपराधों में छत्तीसगढ़ पुलिस त्वरित गति से कार्रवाई कर रही है। पुलिस द्वारा महिला उत्पीड़न के मामलों में आरोपियों को ना सिर्फ तत्काल गिरफ्तार किया जा रहा है बल्कि शीघ्र चालान पेश करके आरोपियों को सजा भी दिलायी जा रही है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने देशभर में मिसाल पेश की है। रायपुर के तेलीबांधा थाना इलाके के एक दुष्कर्म मामले में पुलिस द्वारा आरोपियों को 30 दिन के अंदर आजीवन कारावास की सजा दिला दी।

डीजीपी श्री डी.एम. अवस्थी ने आज ऐसे विवेचकों को सुपर इन्वेस्टिगेटर सम्मान से सम्मानित किया जिन्होंने कर्तव्यपरायणता का परिचय देते हुये उत्कृष्ट कार्य किया। उल्लेखनीय है कि दुष्कर्म के ही एक मामले में खमतराई थाना पुलिस द्वारा घटना के 48 घंटे के अंदर कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया। पुलिस द्वारा की गयी शीघ्र विवेचना और ठोस सबूतों के आधार पर कोर्ट ने 45 दिन के अंदर ही आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। रायपुर के मंदिरहसौद थाना इलाके में दुष्कर्म के मामले में 2 दिन के भीतर ही चालान पेश कर दिया गया और न्यायालय द्वारा 35 दिन के अंदर ही आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। इसी प्रकार जगदलपुर के बोधघाट थाना इलाके में बालिका से दुष्कर्म मामले में पुलिस द्वारा 7 दिन के भीतर चालान पेश कर 45 दिन में ही आजीवन कारावास की सजा दिलायी गयी।

डीजीपी श्री डी.एम. अवस्थी ने निर्देश दिये हैं कि ऐसे मामले संज्ञान में आते ही तत्काल अपराध दर्ज कर कार्रवाई की जाये। पीड़ित महिलाओं को शीघ्र न्याय मिले इसके लिये तत्काल चालान पेश कर अपराधियों को शीघ्र सजा दिलायी जाये। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा शीघ्र कार्रवाई करने वाले विवेचकों को प्रोत्साहित करने के लिये अभिनव पहल की है। महिला विरुद्ध अपराधों में मामला दर्ज करने से सजा दिलाने तक में उल्लेखनीय कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों के लिये सुपर इन्वेस्टिगेटर सम्मान प्रारंभ किया गया है। डीजीपी श्री डी.एम. अवस्थी ने आज इसी क्रम में 16 पुलिस अधिकारियों को सुपर इन्वेस्टिगेटर सम्मान से सम्मानित किया। पुलिस अधिकारियों ने दिखायी इन मामलों में तत्परता- जांजगीर में 7 वर्षीय बच्ची से रेप के मामले में 4 जून 2019 को पोक्सो एक्ट तहत मामला दर्ज किया गया।

13 दिसंबर को आरोपी को गिरफ्तार कर दस दिन के भीतर 23 दिसंबर को न्यायालय में चालान पेश किया गया। प्रकरण की तीव्र गति से सुनवाई करते हुये न्यायालय द्वारा 1 माह 22 दिन के भीतर आरोपी को 20 साल के कारावास की सजा सुनायी गयी। इस मामले में निरीक्षक उमा गुप्ता, सहायक उप निरीक्षक दिलीप सिंह एवं प्रधान आरक्षक राकेश तिवारी को सम्मानित किया गया। जगदलपुर के बोधघाट थाना में प्रार्थी ने बताया कि 21 अक्टूबर 2020 को उसकी 4 साल की बेटी के साथ आरोपी ने अश्लील हरकत की साथ ही जान से मारने की धमकी दी। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये पुलिस ने दो दिन के अंदर 23 अक्टूबर को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस द्वारा विवेचना उपरांत 7 दिन के भीतर ही न्यायालय में चालान पेश कर दिया गया।

न्यायालय द्वारा आरोपी को 3 माह में ही 20 वर्ष के कारावास और 10 हजार के जुर्माने से दण्डित किया गया। मामले में जांच टीम द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने पर निरीक्षक राजेश मरई, सहायक उप निरीक्षक इंदु शर्मा, आरक्षक भानुप्रताप कोर्राम, आरक्षक बिसनी ध्रुव, आरक्षक रीना अनंत को सम्मानित किया गया। रायपुर के माना थाना की उपनिरीक्षक दिव्या शर्मा द्वारा बालिका से रेप के मामले में दो दिन के भीतर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया गया। जिसमें न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि के बाद आरोपी को 20 वर्ष के कारावास की सजा सुनायी गयी। पीड़िता ने अप्रैल 2019 में बालगृह में उक्त घटना की जानकारी दी।

बालगृह द्वारा पुलिस को सूचना देने के बाद पुलिस ने तत्काल कारर्वाई करते हुये जांच उपरांत मात्र दो दिन के भीतर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया। जिससे पीड़िता को शीघ्र न्याय मिल सका। तत्परता दिखाकर पीड़िता को शीघ्र न्याय दिलाने पर उप निरीक्षक दिव्या शर्मा को सम्मानित किया गया। रायपुर के मंदिर हसौद थाना अंतर्गत मामला प्रकाश में आया कि 4 वर्षीय पीड़ित बालिका के दादा ने अश्लील हरकत की है। पुलिस में मामला आने पर विवेचना की गयी। पुलिस द्वारा ठोस सबूतों के साथ मात्र दो दिन के अंदर न्यायालय में चालान पेश किया गया।

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