छग निर्वाचन आयोग ने 180 करोड़ रुपये के सरकारी खर्च का प्रस्ताव किया तैयार

विधानसभा चुनाव 2023 छग निर्वाचन आयोग ने 180 करोड़ रुपये के सरकारी खर्च का प्रस्ताव किया तैयार

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-19 07:03 GMT
छग निर्वाचन आयोग ने 180 करोड़ रुपये के सरकारी खर्च का प्रस्ताव किया तैयार

डिजिटल डेस्क, रायपुर। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का अनुमान है कि 2023 में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को संपन्न कराने करीब 180 करोड़ रुपये सरकार का खर्च होगा। अगले साल राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों के लिए आयोग द्वारा जो बजट प्रस्ताव तैयार किया गया है, उसमें हर सीट पर औसतन 2 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। यह अनुमान 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में हुए कुल खर्च से करीब 4 करोड़ रुपये ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार 2023 मेें विधानसभा चुनावों को संपन्न कराने होने वाले खर्चों को लेकर हाल ही में विधि विधायी विभाग ने शासन से चर्चा की  है। माना जा रहा है कि अगले वित्त वर्ष के लिए विभागों के साथ बजट की तैयारियों के लिए हुई चर्चाओं में विधानसभा चुनाव में होने वाले खर्च को शामिल किया जा सकता है।

दस साल में चुनाव खर्च ढाई गुना हुआ

सूत्रों के अनुसार पिछले दस साल में विधानसभा चुनाव कराने में होने वाला खर्च करीब ढाई गुना हो चुका है। 2013 में विधानसभा चुनाव पर 70 करोड़ रुपये हुए थे जो 2018 में बढ़ कर 176 करोड़ रुपये हो गए थे। 2023 के लिए 180 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। आयोग के सूत्रों के अनुसार 2018 में अचानक निर्वाचन खर्च बढऩे की वजह हाईटेक बंदोबस्त और एडवांस तकनीकी का इसतेमाल किया जाना था। इसके बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में करीब 100 करोड़ रुपए  खर्च आया था।

अतिरिक्त खर्चों का समायोजन चुनाव बाद होगा
छग विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव देर्वेद्र वर्मा ने बताया चुनाव के बजट प्रस्ताव के लिए आयोग काफी पहले तैयारियां शुरू कर देता है। विधि विधायी विभाग के जरिए प्रस्ताव भेजा जाता है, जिसमें चुनाव में होने वाले हर तरह के खर्च का अनुमान शामिल रहता है। चुनाव के दौरान जो अतिरिक्त खर्च होता है, तो उसे बाद में समायोजित किया जाता है।

केंद्र केवल लोकसभा चुनाव का खर्च वहन करता

संवैधानिक व्यवस्था के अनुरुप प्रदेश में होने वाले विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव का खर्च राज्य सरकार को ही वहन करना होता है। केंद्र सरकार की ओर से केवल लोकसभा चुनाव का खर्च वहन किया जाता है। उपचुनाव का खर्च भी इसी तरह राज्य व केंद्र द्वारा उठाया जाता है। 

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