रेंगुठा क्षेत्र के 20 गांवों में आज भी नाव ही सफर का साधन
गड़चिरोली रेंगुठा क्षेत्र के 20 गांवों में आज भी नाव ही सफर का साधन
डिजिटल डेस्क, सिरोंचा (गड़चिरोली)। तेलंगाना राज्य की सीमा से सटी सिरोंचा तहसील के रेगुंठा क्षेत्र के करीब 20 गांवों के नागरिक आज भी अपनी जान जोखिम में डालकर प्राणहिता नदी पार कर रहे हैं। नदी पार करने के लिए किसी बस की मदद नहीं ली जाती। आज भी स्थानीय ग्रामीण नाव के सहारे तेलंगाना पहुंचकर विभिन्न प्रकार के कार्य कर रहे हैं। वर्षों से क्षेत्र के ग्रामीण इसी तरह नदी पार कर रहे हैं, लेकिन अब तक प्राणहिता नदी पर पुल का निर्माणकार्य करने के संदर्भ में जिला प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। जिसके कारण लोगों द्वारा असंतोष व्यक्त किया जा रहा है।
आवश्यक सभी बुनियादी सुविधाओं से वंचित रेगुंठा से तेलंगाना राज्य महज 10 किमी की दूरी पर बसा हुआ है। रेगुंठा क्षेत्र में किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से छोटे से छोटे कार्य के लिए स्थानीय नागरिकों को तेलंगाना पहुंचना पड़ता है। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो या फिर किसी तरह की खरीदारी। सभी कार्यों के लिए यहां के नागरिक तेलंगाना राज्य पर निर्भर हैं। रेगुंठा के कोटापल्ली, कोत्तुर, मोयाबिनपेठा, नरसिंहपल्ली, परसेवाड़ा, चिख्याला, दरशेवाड़ा, मुलादिम्मा, पापयापल्ली, येल्ला, पिरमेड़ा, विट्ठलरावपेठा, चंदाराम, बोकटागुड़ाम, बोंडरा आदि समेत अन्य गांवों के नागरिक हर दिन प्राणहिता नदी पार कर तेलंगाना पहुंच रहे हैं। नदी पार करने के लिए यहां सदियों से नाव का सहारा लिया जा रहा है। रेगुंठा के आखिरी छोर पर बसे कोटापल्ली और तेलंगाना राज्य के वेनमपल्ली गांव के बीच प्राणहिता नदी पर यदि पुल का निर्माणकार्य किया गया तो हजारों लोगों को सुविधा होगी, लेकिन इस दृष्टि से अब तक किसी तरह के प्रयास शुरू नहीं किए गए। फलस्वरूप आज भी ग्रामीणों को अपनी जान जोखिम में डालकर प्राणहिता नदी पार करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि, रेगुंठा गांव में स्वास्थ्य विभाग ने प्राथमिक चिकित्सालय शुरू किया है, लेकिन अस्पताल में डाक्टर व कर्मचारियों का अभाव होने से 70 किमी दूर सिरोंचा तहसील मुख्यालय जाने के बजाए स्थानीय ग्रामीण 10 किमी की दूरी पर स्थित तेलंगाना पहुंचकर अपना इलाज करवा रहे हैं। साथ ही किसी भी प्रकार के कार्यों के लिए तेलंगाना का ही सहारा लेना पड़ रहा है। लगातार हो रही मांग के मद्देनजर प्राणहिता नदी पर पुल का निर्माणकार्य करने की मांग जोर पकड़ने लगी है।