अंध-विश्वास : पूर्वांचल में कोरोना बना देवी मां, हो रही पूजा
अंध-विश्वास : पूर्वांचल में कोरोना बना देवी मां, हो रही पूजा
डिजिटल डेस्क, कुशीनगर, 8 जून (आईएएनएस)। कोरोना वायरस से निपटने के लिए जब पूरी दुनिया जूझ रही है ऐसे वक्त में बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के सीमावर्ती जिलों में अंध-विश्वास ने लोगों को अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया है। यहां की महिलाएं अब कोरोना वायरस से निजात के लिए कोरोना मईया की पूजा करने लगीं हैं। 10-10 लौंग-लड्डू को रख गड्ढे में पानी भरकर कोरोना वायरस से निजात की कामना कर रही हैं। उनकी यह पूजा सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही है।
कुछ दिन पहले महराजगंज के एक गांव में कोरोना से गांव की रक्षा के लिए महिलाएं विशेष पूजा कर रही थीं, लेकिन अब यह अंध-विश्वास रूपी वायरस कुशीनगर के ग्रामीण इलाकों में पहुंच चुका है। यहां के कुछ गांवों की महिलाएं कोरोना माई की पूजा कर रही हैं। बाकायदा इसके लिए चढ़ावा भी तय कर लिया गया है।
महिलाओं का दावा है कि कोरोना माई को नौ लड्डू और नौ लौंग चढ़ाने से इस वायरस का खात्मा हो जाएगा। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर बिहार राज्य से वायरल एक वीडियो को देखने के बाद को कुशीनगर के भी कुछ स्थानों पर भी ऐसी पूजा की जाने लगी।
बिहार से आए मैसेज-वीडियोज से कुशीनगर में शुरुआत हुई। कुछ स्थानीय लोगों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे पहले इस अंध-विश्वास की शुरुआत बिहार से सोशल मीडिया पर आए संदेशों से हुई। लगभग आधा दर्जन गांवों में कोरोना माई की पूजा और निश्चित चढ़ावा चढ़ाने की सूचनाएं आने लगीं हैं। यहां की महिलाओं का कहना है कि पूजा से कोरोना माई प्रसन्न होंगी और उनके गांव पर इस बीमारी का असर नहीं पड़ेगा।
हालात यह है कि कुशीनगर जिला मुख्यालय से सटे पडरौना शहर में 4 बजे से ही महिलाओं का जुटना शुरू होने लगा था। महिलाएं खाली जमीन, जूनियर हाईस्कूल और यूएपीजी कॉलेज के खेल मैदान में जुट गई और वहां जमीन पर छोटा गड्ढा बनाकर उसमें पानी भर दिया। फिर, कोविड-19 को महिलाओं ने कोरोना माई का नाम दिया और पूजापाठ शुरू कर दी। इस दौरान महिलाओं ने गड्ढे के सामने नौ लड्डू और नौ लौंग चढ़ाकर पूजा की। बावजूद इसके प्रशासनिक अधिकारियों ने इसकी सुधि लेना मुनासिब नहीं समझा। बताया जा रहा है कि सुबह शुरू हुई पूजा पाठ का सिलसिला चलता रहा। यह जिले के तमकुहीराज, कसया, हाटा, कप्तानगंज, खड्डा तहसील क्षेत्रों तक पहुंच चुका है।
बृजकिशोर शर्मा, नवीन कुमार सिंह, सनोज आदि का कहना है कि कोरोना माई की पूजा से जुड़े कई मैसेज और वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। प्रशासन को ऐसे वीडियोज और संदेशों पर तत्काल अंकुश लगाना चाहिए। ताकि कोरोना के नाम पर लोग जाने-अनजाने गलत धारणाओं के शिकार न बनें।
लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज शास्त्र के सहायक आचार्य पवन कुमार मिश्रा ने बताया, यह आदर युक्त भय है। पहले चेचक को लेकर भी ऐसा था। उन्हें माता मानकर साफ-सफाई की जाती थी। जन साधारण में बैठे ऐसे अस्थाओं से समाज द्वारा वैज्ञानिक तरीके से निभाई जाने वाली स्वच्छता की आदतें इनके पूजा पाठ की प्रक्रिया का हिस्सा बन जाती है। साफ सफाई का विज्ञान आस्था के साथ जुड़ जाता है। कोरोना को माई मान ली गई है। इसके साथ पूजा-पाठ की प्रक्रियाएं स्वच्छता के विज्ञान से जुड़ गयी है। जनसमान्य ऐसी विकसित आस्था विज्ञान के क्रियाकलापों में बढ़ावा देता है। इन सब प्रक्रियाओं को जनसमान्य को मानसिक धरातल पर इस तरह की आस्थाओं से एक मजबूती मिलती है। जो बीमारी से लड़ने में सहायक होती है। इस बारे में जिले के प्रशासनिक अधिकारी से संपर्क करने पर उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया है।