ब्लैकलिस्टेड कंपनी की दोबारा होने जा रही एंट्री
नागपर यूनिवर्सिटी ब्लैकलिस्टेड कंपनी की दोबारा होने जा रही एंट्री
डिजिटल डेस्क,नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी अपने मनमाने और एकतरफा फैसलों के कारण शिक्षा जगत में आलोचना का शिकार हो रहे हैं। अब कुलगुरु ने तमाम विरोध को अनदेखा करते हुए ब्लैकलिस्टेड सॉफ्टवेयर कंपनी एमकेसीएल को नागपुर विश्वविद्यालय की परीक्षा का कामकाज सौंपने की तैयारी कर ली है। आश्चर्य है कि इसी कंपनी को अकार्यक्षम घोषित करके वर्ष 2016 में तत्कालीन कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे ने ब्लैकलिस्ट करके आगे से विश्वविद्यालय का कोई काम न सौंपने का फैसला लिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुलगुरु डॉ. चौधरी ने इस कंपनी को दोबारा विश्वविद्यालय में लाने का निर्णय लिया है। इसे प्रथम वर्ष की परीक्षा की जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है। कुछ ही दिनों पूर्व मैनेजमेंट काउंसिल की बैठक मंे सदस्यों ने कुलगुरु के इस फैसले का जम कर विरोध किया, लेकिन इसके बावजूद कुलगुरु अपने फैसले पर अड़े बैठे हैं। एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को काम देने के लिए नवनिर्वाचित कुलगुरु इतने उतावले क्यों हो रहे हैं, इसको लेकर नागपुर के शिक्षा जगत में चर्चाएं गर्म हो गई हैं।
कंपनी संभालती थी काम
बता दें कि वर्ष 2016 तक नागपुर विश्वविद्यालय का परीक्षा पूर्व और परीक्षा के बाद का काम एमकेसीएल संभालती थी। लेकिन आए दिन हॉल टिकट, रिजल्ट, दस्तावेजों में मिल रही गलतियों के कारण विवि ने एमकेसीएल पर अकार्यक्षमता की मुहर लगा कर अपना करार समाप्त कर लिया था। जनवरी 2016 में राज्य सरकार ने जीआर जारी कर एमकेसीएल को राज्य संचालित कंपनी की श्रेणी से हटा दिया था। जिसके बाद नागपुर विवि ने उनके कांट्रैक्ट खत्म करने का नोटिस भी जारी किया था। अंतत: मई 2016 तक विवि ने कंपनी को दिए सभी कामकाज वापस ले लिए थे। इसके बाद नए सिरे से कामकाज का टेंडर आयोजित कर इसकी जिम्मेदारी प्रो-मार्क कंपनी को दी थी। इस टेंडर प्रक्रिया में एमकेसीएल को विवि ने ब्लैकलिस्ट घोषित करके दूर रखा था।
जवाब देने से बच रहे कुलगुरु
आए दिन मीडिया के प्रश्नों का उत्तर देने से बचन वाले कुलगुरु डॉ. सुभाष चौधरी इस मुद्दे पर भी चुप्पी साधे बैठे है। उनसे फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया।