शराबबंदी कानून में ढील दे सकती है बिहार सरकार

प्रस्ताव पेश किए जाने की संभावना शराबबंदी कानून में ढील दे सकती है बिहार सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-18 08:00 GMT
शराबबंदी कानून में ढील दे सकती है बिहार सरकार

डिजिटल डेस्क, पटना। शराबबंदी के खराब क्रियान्वयन को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रही बिहार की नीतीश कुमार सरकार उल्लंघन करने वालों को कुछ छूट दे सकती है। जदयू के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक, राज्य सरकार इस मुद्दे की समीक्षा के लिए तैयार है और बिहार विधानसभा के आगामी बजट सत्र में एक प्रस्ताव पेश किए जाने की संभावना है।

प्रस्ताव के अनुसार शराब के नशे में पकड़े जाने वालों को मौके पर ही जुर्माना भरकर छोड़ा जा सकता है। हालांकि, यह दोहराने वाले अपराधियों पर लागू नहीं होगा। शराबबंदी कानून के मानदंडों का बार-बार उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

इस तरह की छूट से घर पर शराब की खपत हो सकेगी और होम डिलीवरी की अवधारणा को भी बढ़ावा मिलेगा, जो बिहार में आदतन शराब पीने वालों के बीच पहले से ही लोकप्रिय है। जदयू अधिकारी ने आगे कहा कि शराब की तस्करी में इस्तेमाल होने वाले वाहन को जुर्माना भरने के बाद छोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों में विभिन्न जिलों में जहरीली शराब की त्रासदियों की एक श्रृंखला के बाद मुख्यमंत्री भारी राजनीतिक दबाव में हैं, जिसमें 80 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई अन्य लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हम के मुख्य प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी कानून में संशोधन या समीक्षा लाने की बजाय इस मुद्दे पर सर्वे करना चाहिए। अगर बिहार के लोग शराबबंदी को वापस लेने के पक्ष में हैं, तो हम भी उस फैसले का सम्मान करते हैं। शराब की त्रासदी मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, बेतिया, समस्तीपुर, वैशाली, नवादा और अब सीएम के जिला नालंदा में हुई।

यह मुद्दा नीतीश कुमार सरकार को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है, खासकर उसके गठबंधन सहयोगी भाजपा और हम के बेहद मुखर होने के बाद वे दबाव में है। वे शराबबंदी कानून की समीक्षा चाहते हैं। बिहार में अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू कर दी गई थी। हाल ही में पटना उच्च न्यायालय ने भी सरकार की आलोचना की थी।

अदालत ने कहा कि बड़ी संख्या में शराब से जुड़े मामले लंबित हैं, जिससे न्यायिक व्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा है। इसी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार सरकार को चाहिए कि सभी 38 जिलों में शराब से जुड़े मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए और अदालतें स्थापित करें। हालांकि शराबबंदी कानून में संशोधन का यह पहला मामला नहीं होगा। 2018 में राज्य सरकार ने सामान्य अपराधियों को थाना स्तर पर जमानत देने का प्रावधान किया गया था। शराबबंदी कानून के तहत अधिकतम जेल की सजा 10 साल है।

(आईएएनएस)

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