भगवान का भजन ही सार, बाकी सब बेकार-पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
पनागर में आयोजित श्रीमद्् भागवत कथा के प्रथम दिन कथा का बताया महत्व भगवान का भजन ही सार, बाकी सब बेकार-पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री
डिजिटल डेस्क जबलपुर। इस संसार में भगवान का भजन की एकमात्र सार है, बाकी जो कुछ भी कल्पित, भाषित, आंकलित है, वो सब बेकार है। उक्त उद््गार बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने पनागर में आयोजित श्रीमद्् भागवत कथा के प्रथम दिन कथा का महत्व बताते हुए व्यक्त किए। उन्होंने भागवत शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि भागवत में चार अक्षर हैं। भ, ग, व और त। यहाँ भ का अर्थ है भक्ति। ग का अर्थ ज्ञान, व का वैराग्य और त का त्याग। उन्होंने भक्ति-ज्ञान, वैराग्य और त्याग का गहन अर्थ बताते हुए कहा कि चारों शब्द के जो अर्थ उजागर हैं, वास्तव में उनका अर्थ उतना बस नहीं है। चारों का अर्थ बड़ा गहरा है।
मौसम वाले भक्त मत बनो
महाराजश्री ने कहा कि माला लेने से कोई भक्त नहीं हो जाता। आप कभी मौसम वाले भक्त न बनें। उन्होंने कहा कि नौ दिन उपवास कर दसवें दिन उपद्रव मचाने वाले भक्त नहीं होते। शंकर जी ने पूरी दुनिया बनाई, हम सावन में शंकर जी बना के भक्त नहीं कहला सकते। उन्होंने कहा कि जब भगवत नाम संकीर्तन से आँखें गीली हो जाएँ, जिह्वा पर गोविंद का नाम नाचने लग जाए, रोम-रोम प्रभु प्यार में आनंदित हो उठे, तब समझना कि मुझे मोहब्बत हो गई है।
हम कट्टर नहीं राम के प्यारे हैं
महाराजश्री ने कहा कि हमें लोग कट्टर कहते हैं पर हम कट्टर नहीं हम तो राम के प्यारे हैं। उन्होंने कहा कि जिसके मस्तक में तिलक होता है, जो भगवा पहनता है, वो हमें राम की याद दिलाता है, वो हमें प्यारा लगता है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र भी कहते हैं कि जो राम से दूर करे, उसका त्याग कर दो। जाके प्रिय न राम बैदेही, तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जदपि परम सनेही। राम से दूर करने वाला कितना भी प्यारा क्यों न हो, उसका त्याग करने में ही भलाई है।
प्रारंभ में पोथी पूजन
कथा के प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से विधायक सुशील तिवारी इंदू, माया तिवारी, सत्येंद्र पटेल, अर्शी पटेल, सौरभ बड़ेरिया, सोनिया बड़ेरिया, रोहित तिवारी, अनुभा तिवारी, पवन जैन, मीना जैन, सौरभ जैन आदि ने व्यास पीठ और पोथी का पूजन किया। सांसद राकेश सिंह ने विशेष रूप से उपस्थित होकर व्यास पीठ की आरती उतारी।