कोरोना के चलते नहीं मिली जमानत को अब डिफाल्ट जमानत के हकदार नही

मुंबई हाईकोर्ट कोरोना के चलते नहीं मिली जमानत को अब डिफाल्ट जमानत के हकदार नही

Bhaskar Hindi
Update: 2022-11-26 14:33 GMT
कोरोना के चलते नहीं मिली जमानत को अब डिफाल्ट जमानत के हकदार नही

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते सत्र न्यायालय में आरोपपत्र को स्वीकार करने से जुड़ी औपचारिकता को पूरा नहीं किया जा सका है। ऐसे में आरोपी इस तरह की स्थिति के मद्देनजर डिफाल्ट जमानत पाने का हकदार नहीं हो जाता है। हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में एक आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज करते हुए उपरोक्त बात कहीं है। यदि पुलिस आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 90 दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर नहीं करती है तो आरोपी डिफाल्ट जमानत पाने का हकदार हो सकता है। इससे पहले सत्र न्यायालय ने आरोपी को जमानत देने से मना कर दिया था। इसलिए आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था।

मामले से जुड़े आरोपी के जमानत आवेदन के मुताबिक पुलिस ने आरोपी को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया था। इस मामले में आरोपपत्र दायर करने की अवधि 16 अप्रैल 2020 तक थी लेकिन आरोपी के मुताबिक पुलिस ने उसके मामले में 30 जून 2020 को आधिकारिक तौर पर पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद आरोपपत्र दायर किया है। इसलिए वह डिफाल्ट जमानत पाने का हकदार है। 

वहीं सरकारी वकील ने आरोपी के जमानत का विरोध किया। सरकारी वकील ने कहा कि जांच अधिकारी ने 90 दिन के पहले कोर्ट में आरोपपत्र पेश कर दिया था। एक अप्रैल 2020 को सत्र न्यायालय ने इसको लेकर एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि आरोपपत्र दायर हुआ और देखा गया। इसके बाद आरोपपत्र पुलिस अधिकारी को अपने पास रखने को कहा गया था और कोर्ट का कामकाज सामान्य होने पर आरोपपत्र जमा करने की बात कही गई थी। इसलिए आरोपी डिफाल्ट जमानत पाने का हकदार नहीं है।

मामले से जुड़े दोनों पक्षों व तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति भारती डागरे ने कहा कि कोरोना महामारी से जब सारा देश जूझ रहा था। उस समय लोगों में भयावह कोरोना वायरस का काफी डर था। ऐसे में कोर्ट का कामकाज जरुरी स्टाफ की गैरमौजूदगी में रुक-रुक कर चल रहा था। इसलिए सत्र न्यायालय ने मामले से जुड़े आरोपपत्र को एक अप्रैल 2020 को अपने पास जमा नहीं किया और आरोपपत्र से जुड़ी प्रक्रियगत औपचारिकता पूरी नहीं हो सकी। लेकिन कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि आरोपपत्र पेश कर दिया गया है। ऐसे में इस मामले में जांच अधिकारी की कोई कमी नजर नहीं आ रही है। इसलिए इस मामले में आरोपी डिफाल्ट जमानत की मांग नहीं कर सकता है।

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