आयुर्वेद सबसे पुराना और प्रभावशाली शास्त्र : आचार्य विद्यासागर महाराज

वाशिम आयुर्वेद सबसे पुराना और प्रभावशाली शास्त्र : आचार्य विद्यासागर महाराज

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-24 12:56 GMT
आयुर्वेद सबसे पुराना और प्रभावशाली शास्त्र : आचार्य विद्यासागर महाराज

डिजिटल डेस्क, वाशिम। हमारे आचार्य ऋषिमुनियों ने तपश्चर्या कर आयुर्वेद शास्त्र में औषधि का महत्व बताया है । पुरातन ग्रंथ में भी आयुर्वेद की जानकारी उपलब्ध है । आयुर्वेद चमत्कारीत होने के साथही अनेक गंभीर बीमारियों पर रामबाण औषधि के रुप में सिध्द हुआ है । इस कारण प्रत्येक को आयुर्वेद की शक्ति पहचानकर निरोगी स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए आयुर्वेद प्रणाली का उपयोग करने का आव्हान संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागरजी महाराज ने किया । जिले की मालेगांव तहसील के शिरपुर स्थित निकलंक निकेतन में शुक्रवार 23 दिसम्बर को प्रात: प्रवचन में भक्ताें को मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने उपरोक्त प्रतिपादन किया । मंच पर निर्यापक श्रमणमुनीश्री प्रसादसागरजी महाराज, निर्यापक श्रमणमुनीश्री विरसागरजी महाराज, मुनीश्री निरामय सागरजी महाराज, मुनीश्री चंद्रप्रभ सागरजी महाराज, ऐलकश्री सिध्दांतसागरजी महाराज समेत अनेक संतगण उपस्थित थे । इस अवसर पर इगतपुरी के विधायक पांडूरंग गांगल, भाजपा उद्योजक आघाडी के प्रदेशाध्यक्ष महेश श्रीश्रीमाल, तरुण क्रांति मंच व भारतीय जैन संगठन के जिलाध्यक्ष निलेश सोमाणी, भाजपा के पांडूरंग ब-हे, इगतपुरी भाजपा शहराध्यक्ष सागर हंडोरे, माहेश्वरी संगठन के जिलाध्यक्ष शिवलाल भुतडा, डा. राजकुमार मुंदडा, शेलूबाजार अर्बन के व्यवस्थापकीय संचालक मोहित कर्नावट व सौ. कविता कर्नावट ने आचार्य श्री के चरणों में श्रीफल अर्पित कर आशिर्वाद लिया । इस अवसर पर आचार्य विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि विज्ञान में अनेक बातों में तर्क-वितर्क पाया जा रहा है ।

 कोरोना वैक्सीन का निर्माण सभी देशों ने किया है और यदि विज्ञान समान है तो एक ही प्रकार की वैक्सीन का निर्माण विश्व में क्यों नहीं हुआ ? ऐसा प्रश्न उपस्थित करते हुए वैक्सीन को लेकर किसी भी देश का एक-दूसरे पर विश्वास नहीं होने की बात भी उन्होंने कही । आचार्यश्री ने आगे बताया कि आज शिक्षित युवक और अनेक लोग नशे का शिकायत हो रहे है । जिस नशे के कारण परिवार और समाज व्यवस्था नष्ट होती है, ऐसे व्यक्तियों को स्वयं द्वारा आशिर्वाद न देने की बात भी उन्होंने कही । यदि नशे का त्याग कर अच्छी बातें अंगिकार करने पर ही उन्हें आशिर्वाद देकर संगीत शाकाहारी भोजन का महत्व भी उन्होंने बताया । आज आयुर्वेद में विविध कैन्सर व बड़ी बीमारियों पर दवाई उपलब्ध है । एलोपैथी में बड़ी-बड़ी मशिनें निर्माण हुई, जिनका मूल्य करोड़ो में है, लेकिन उसका उपयोग नहीं होता । आयुर्वेद शास्त्र में बेहद शास्त्रोक्त पध्दती से उपचार किया जाता है । शरीर की बीमारी के साथही मन में रहनेवाला कैन्सर भी घातक है । शारीरिक, मानसिक बीमारी सुख, शांति नहीं मिलने देती । मन के कैन्सर में द्वेष, इर्षा, मत्सर, लोभ इन बातों का समावेश होता है । इस मन की कैन्सर रुपी गांठ का त्याग करने का आव्हान उन्होंने किया । 

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