चूल्हा , धूप, अगरबत्ती व वाहनों से निकलने वाले धुएं से होता है अस्थमा
चूल्हा , धूप, अगरबत्ती व वाहनों से निकलने वाले धुएं से होता है अस्थमा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अस्थमा और सीओपीडी से मृत्यु के मामले में भारत विश्व में सबसे आगे है। भारत में अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों का प्रमाण दुनिया के 12 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु का प्रमाण 43 प्रतिशत है, जो विश्व में सबसे अधिक है। पूजा में लगाए जाने वाले धूप, मच्छर अगरबत्ती, चूल्हा और वाहन से निकलने वाला धुआं इस समस्या का मूल कारण है। हाल ही में सार्वजनिक हुई ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट 2017 में यह खुलासा होने की जानकारी चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन के डायरेक्टर डॉ. सुदीप सालवी ने दी।
पश्चिमी देशों से भारत की समस्या अलग
डॉ. सालवी ने बताया कि पश्चिमी देशों में अस्थमा और सीओपीडी की समस्या का कारण धुम्रपान माना जाता है, परंतु भारत में 80 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं, जो धुम्रपान नहीं करते। इस समस्या से ग्रसितों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का प्रमाण अधिक है। इनमें चूल्हे पर भोजन बनाने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है। चिकित्सा क्षेत्र में भी इस समस्या पर अधिक जागरूकता नहीं है। नतीजा सही रोग निदान और उपचार नहीं मिलता। विदेशों में इन्हेलर थेरेपी को इस समस्या का प्रभावी उपाय माना जाता है। 30 वर्ष पुरानी इस थेरेपी को लेकर समाज ही नहीं चिकित्सा क्षेत्र में भी गलतफहमी है। अस्थमा और सीओपीडी का सही निदान करने के लिए स्पायरोमेटरी टेस्ट अत्यावश्यक है, जबकि इसे नजरअंदाज किया जाता है।
अस्थमा के लक्षण और कारण
अस्थमा एक अनुवांशिक बीमारी है। परिवार के किसी सदस्य को रहने पर इस बीमारी का खतरा बना रहता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को धुल, धुआं, मौसम बदलने पर श्वसन नलिकाएं सिकुड़ जाने से सांस की समस्या होती है। सांस अंदर ले सकता है, लेकिन बाहर छोड़ने में तकलीफ होने से दम घुंटने लगता है।
सीओपीडी के लक्षण और कारण
सीओपीडी यानी क्रॉनिक आब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज है। इस बीमारी में धुल, धुएं के अति संपर्क में रहने पर फेफड़ों की श्वसन कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती हैं। फेफड़ा काला पड़कर कमजोर हो जाता है। उसे सांस लेने में समस्या होने से दम भरता है। अस्थमा के मुकाबले सीओपीडी की समस्या अधिक खतनाक है। इसमें मृत्यु का खतरा अधिक रहता है। धूम्रपान के दुष्परिणाम से अन्य कारणों की तुलना : पहले माना जाता था कि बीड़ी, सिगरेट पीने से अस्थमा, सीओपीडी की समस्या होती है। भारत में धूम्रपान नहीं करने वाले 80 प्रतिशत लोगों में यह समस्या पाए जाने पर इसके मूल कारण जानने के लिए अध्ययन किया गया। धूम्रपान के दुष्परिणामों से अन्य कारणों की तुलना की गई। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट 2017 में सिगरेट के दुष्परिणामों से अन्य कारणों से होनेवाले दुष्परिणामों की इस प्रकार तुलना की गई।
किससे कितना दुष्परिणाम
चूल्हे का धुआं - प्रतिदिन 25 सिगरेट
पूजा का धूप (15 मिनट) - 500 सिगरेट
मच्छर अगरबत्ती (एक रात) - 100 सिगरेट
एक्सिलेंस सेंटर में उपलब्ध होंगे संसाधन और औषधि
डॉ. सालवी ने बताया कि विदर्भ में 3 मेडिकल कॉलेजों में एक्सिलेंस सेंटर शुरू करने का डीएमईआर के साथ सामंजस्य करार हुआ है। डीएमईआर की ओर से अस्थमा और सीओपीडी का निदान और उपचार के लिए आवश्यक संसाधन और औषधि उपलब्ध कराने की स्वीकृति मिली है। देश में पहला पायलट प्रोजेक्ट विदर्भ में शुरू हुआ है। इसके सकारात्मक परिणाम मिलने पर देशभर में लागू किया जा सकता है।