मरीज को गुमराह कर प्राइवेट अस्पताल जे जा रही थी आशा, सिक्योरिटी गार्ड ने पकड़ा
सतना मरीज को गुमराह कर प्राइवेट अस्पताल जे जा रही थी आशा, सिक्योरिटी गार्ड ने पकड़ा
डिजिटल डेस्क, सतना। डॉक्टर नहीं होने की बात कहकर आशा कार्यकर्ता जिला अस्पताल से एक पेशेन्ट को प्राइवेट अस्पताल ले जा रही थी। गनीमत रही कि जब आशा वर्कर परिजन को गुमराह कर रही थी, वहां सुरक्षाकर्मी मौजूद था। उसने विरोध किया तो आशा कार्यकर्ता देवमती भाग खड़ी हुई। जानकारी के मुताबिक अमरपाटन क्षेत्र अंतर्गत रिगरा निवासी पार्वती पटेल २० वर्षीय बीमार बेटी सोनिया को रविवार को दोपहर २ बजे लेकर जिला अस्पताल पहुंचीं। ओपीडी पर्ची लेने के बाद ड्यूटी डॉक्टर ने सोनिया को महिला डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी। परिजन गायनिक ओपीडी जा रहे थी तभी रामपुर बघेलान क्षेत्र की आशा देवमती ने परिजन को यह कहकर गुमराह किया कि डॉक्टर नहीं हैं, प्राइवेट अस्पताल चलो। सोनिया को अमरपाटन से रेफर किया गया था। परिजन ने बताया कि रेफर लेकर आने वाले १०८ एम्बुलेंस के चालक ने भी १०० रुपए की मांग की।
हर दिन की यही कहानी, प्रबंधन का कंट्रोल नहीं
अस्पताल सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल में खासतौर पर गायनिक विभाग से गर्भवतियों को झांसे में लेकर आशा कार्यकर्ताएं निजी अस्पताल ले जाती हैं। ऐसा करने पर निजी अस्पतालों से इनको मोटी रकम मिलती है। कुछ आशा कार्यकर्ताएं ऐसी हैं जो बगैर काम के जिला अस्पताल में सुबह से शाम तक डटी रहती हैं। इनकी नजर ऐसे ग्रामीण पेशेन्टों पर रहती है जिनको अधिक जानकारी नहीं होती और ऐसे पेशेन्ट आसानी से आशा वर्कर्स के झांसे में आ जाते हैं।
जिसका केस उसी को रहने की परमीशन
नियम तो यह है कि जिस क्षेत्र या गांव की डिलीवरी है, संबंधित आशा उसी केस में ही अस्पताल में रह सकती है। बड़ी बात तो यह है कि जिला अस्पताल में इस प्रकार के हालात लंबे समय से हैं, बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन रोक नहीं लगा पा रहा है। आशा कार्यकर्ताएं न तो डे्रस पहनतीं और न ही इनके पास आईडी कार्ड होता। बताया गया है कि लगभग एक दर्जन आशा कार्यकर्ताएं बगैर काम के दिन भर अस्पताल में रहती हैं।
इनका कहना है।
मामला संज्ञान में आया है, आशा कार्यकर्ता की पहचान भी कर ली गई है उसको सेवा से प्रथक करने के संबंध में कार्रवाई के लिए रामपुर बीएमओ को निर्देश दे दिए गए हैं।
डॉ एलके तिवारी, सीएमएचओ