पर्दे पर हुनर दिखाने वाले कलाकार फुटपाथ पर काम कर रहे

पर्दे पर हुनर दिखाने वाले कलाकार फुटपाथ पर काम कर रहे

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-16 06:15 GMT
पर्दे पर हुनर दिखाने वाले कलाकार फुटपाथ पर काम कर रहे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कभी मंच पर तो, कभी फिल्मी पर्दे के आगे और पीछे अपनी कला का हुनर दिखानेवाले शहर के कलाकार फुटपाथ पर काम करके अपनी और परिवार की आजीविका चला रहे हैं। इन कलाकारों को वह मुकाम हासिल नहीं हो सका, जिसके वे हकदार थे। लॉकडाउन ने उनकी रही सही कला को भी खत्म कर दिया। जब काम मिलना मुश्किल हो गया तो यह कलाकार पुराने काम धंधे में लग गए। शहर के कलाकार राजकुमार जैन, राहुल वासनिक उर्फ राहुलवा और शेख जबीर ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने कला के क्षेत्र  में अपने जीवन समर्पित कर दिया था। 

फिल्म में संगीत तैयार किया, अब कर रहे साइकिल की दुकान में काम
राजकुमार जैन को लोग संगीतकार के रूप में जानते हैं। ढोलक और हारमोनियम पर संगीत तैयार करना इन्हें पसंद है। प्राइमरी के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए। परिवार की जिम्मेदारी मुंबई में रहने का अवसर नहीं देती थी। संगीत की कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली, लेकिन कुछ ऐसे गुरु जरूर थे, जिनके सान्निध्य में संगीत की बारीकियों को सीखा। पहले आर्केस्ट्रा में वाद्य यंत्र बजाया। बाद में खुद की भजन मंडली बनाकर भागवत कथाओं, भक्ति और धार्मिक गीतों के लिए संगीत कंपोज करने लगे। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और नागपुर में कई जगह पर काम किया।  

जीवन के 3 अहम पड़ाव
फिलहाल फिल्म निर्माता-निर्देशक दादाभाई सरादे की छत्तीसगढ़ी फिल्म का संगीत तैयार किया है। लॉकडाउन के कारण काम मिलना बंद सा हो गया तो अपनी साइकिल की दुकान चालू कर दिया।

एक अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में संगीत शिक्षक के रूप में भी काम किया। द्विभाषिए की मदद से अंग्रेजी में संगीत तैयार करके बच्चों को सिखाते थे।  

जहां कभी फिल्म में प्रोडक्शन संभालते थे, अब सिल रहे हैं कपड़े
फिल्मी दुनिया से जुड़े राहुलवा उर्फ राहुल वासनिक ने कुछ फिल्मों में लोकेशन इंचार्ज और प्रोडक्शन सहायक का काम संभाला। पहली बार अभिनेता असित सेन के साथ नागपुर में एक बीड़ी के विज्ञापन में काम करने का मौका मिला। फिर फिल्म निर्देशक जब्बार पटेल की फिल्म डॉ. बाबासाहब आंबेडकर में प्रोडक्शन सहायक रहे। इस फिल्म की कुछ शूटिंग नागपुर में हुई थी। फिल्म निर्देशक यश चौहान से कुछ दोस्तों के जरिए मुलाकात हुई, पर  कई बार मुंबई जाने के बाद भी काम नहीं मिला। 

खास मुकाम : मराठी फिल्म "नारी तुझी अजीब कहाणी" में काम किया। फिल्म निर्माता- िनर्देशक कमलजीत मरास की हिंदी फिल्म बैसाखीवाला मेला में विलेन व निर्देशक सुबोध नागदिवे के साथ फिल्म बोले इंडिया जयभीम में अभिनय किया। अब मुंबई के फिल्म निर्माता- निर्देशक अंबेश यादव की आगामी फिल्म अंबु में प्रोडक्शन का काम मिला है। कुछ मित्राें की मदद से रहस्यमय गोलू नामक फिल्म का निर्माण कार्य शुरू किया था, लेकिन फाइनेंस की कमी के कारण इसकी शूटिंग रुक गई। 

विडंबना : लॉकडाउन में रोजगार छीन लिया तो टेलर का काम शुरू किया। 

व्वाली में नाम कमाया, अब बेच रहे खिलौने
जब मंच पर या किसी कार्यक्रम में ढोलक की थाप पर कव्वाली शुरू होती है तो एक अलग ही माहौल बन जाता है। उस पर दर्शकों के तालियों की गड़गड़ाहट अलग ही सुकून देती है। शेख जबीर का कहना है कि उन्होंने कव्वाली गायन में काफी नाम कमाया, लेकिन जब यह कला विलुप्त होने लगी तो रोजगार छीन गया। लॉकडाउन ने तो इस कला की कमर ही तोड़ दी। परिवार की जरूरतों के लिए फुटपाथ पर कपड़ों के खिलौने जैसे ऊंट, घोड़ा, हाथी आदि बनाने लगा। ज्यादा पढ़ाई तो नहीं कर पाए, लेकिन ऊपर वाले का करम रहा कि मंच पर एक नाम मिला। कई लोगों के साथ गायन किया। 


 

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