प्रेग्नेंसी में वैक्सीन लेने से शिशु तक पहुंचती है एंटीबॉडी  

स्टडी प्रेग्नेंसी में वैक्सीन लेने से शिशु तक पहुंचती है एंटीबॉडी  

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-02 04:39 GMT
प्रेग्नेंसी में वैक्सीन लेने से शिशु तक पहुंचती है एंटीबॉडी  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में मनपा प्रशासन और जिला परिषद वैक्सीनेशन पर पूरी तरह जोर दे रही है। इसको लेकर कई तरह की स्टडी भी हुई है। हाल ही में एक विषय में सामने आया है कि माता ने अगर वैक्सीन ली है, तो उसके बच्चे के शरीर में भी एंटीबॉडी पहुंच जाती है। इसके प्रमाण भी मिले हैं। विदेश में हुई एक और स्टडी में सामने आया है कि फीडिंग कराने वाली माता के दूध में भी एंटीबॉडी का प्रमाण बढ़ा है। इससे बच्चे में भी एंटीबॉडी जाती है। हालांकि नागपुर के विशेषज्ञों ने इस विषय पर कहा है कि गर्भावस्था के दौरान यदि मां का ही रक्त बच्चे में जाता है, तो बच्चे में भी एंटीबॉडी जाती है। 

इजराइल में हुई रिसर्च में मां के दूध में मिली एंटीबॉडी
इजराइल में जामा नेटवर्क ने एक रिसर्च लेटर पब्लिश किया, जिसमें उन्होंने फीडिंग करने वाली 84 महिलाओं को बायोएनटेक कंपनी की कोरोना की फाइजर वैक्सीन के 21 दिन के अंतराल में दो डोज लगाए गए। सभी महिलाओं की उम्र 34 वर्ष के आस-पास थी। इनके शिशु जन्म के बाद करीब 7 से साढ़े सात माह के थे। इसमें डोज लेने के पहले और बाद में सैंपल कलेक्ट किए गए।  पहला डोज लेने के बाद दूसरे सप्ताह से अगले 6 सप्ताह तक 6 दिन में एक बार सैंपल कलेक्ट किया गया। इसमें 504 ब्रेस्ट मिल्क सैंपल कलेक्ट किए गए। इसमें वैक्सीनेशन के दो सप्ताह बाद 61.8 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव आए। यानि इनमें एंटीबॉडी पाई गई। इसके बाद चौथे सप्ताह में 86.1 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव आए जिसमें दूसरा डोज भी दिया गया था। इसके बाद छठे सप्ताह में 65.7 प्रतिशत सैंपल पॉजिटिव आए। इस तरह की स्टडी फ्लोरिडा की एक यूनिवर्सिटी सहित और भी देशों में हुई है, जिसका परिणाम सकारात्मक रहा। 

गर्भावस्था में मां का खून जाता है शिशु में
कोरोना वैक्सीन का प्रशासन लगातार प्रचार कर रही है। इसको लेकर कई तरह की मुहिम भी चलाई गई है। ग्रामीणों में भी इसको लेकर अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। हालांकि ग्रामीण में वैक्सीन लेने वाले लोगों में गर्भवती महिलाअों की संख्या कम है। इसका मुख्य कारण वैक्सीन को लेकर फैली कई तरह की नकारात्मक भ्रांतियां हैं। वास्तविकता में कई दूसरे प्रमाण देखने को मिले हैं। जिसमें यदि माताएं गर्भावस्था के दौरान वैक्सीन लेती हैं तो मां के खून में बनी एंटीबॉडी गर्भ में शिशु तक पहुंचती हैं। गर्भ में माता का खून ही शिशु तक पहुंचता है। इससे बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उसे वायरस से सुरक्षा मिलती है। 

टीटी देने पर भी बच्चे को मिलती सुरक्षा
इस तरह के प्रयोग पहले भी कई वैक्सीन पर किए गए हैं। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान या बचपन में भी वैक्सीन लगाई जाती  हैं तो लंबे समय तक शरीर में रहती है। इसमें डेड वायरस या एंटीजन डाले जाते हैं। उसी तरह गर्भावस्था में कोरोना वैक्सीन लेते हैं तो मां के शरीर में एंटीबॉडी बनती है, शिशु होने के बाद उसे भी इसकी सुरक्षा मिलती है। टीटी का इंजेक्शन माता को गर्भावस्था के दौरान दिए जाते हैं, जो कि लेना अनिवार्य है। इसके दो डोज माताओं को दिए जाते हैं, जिससे बच्चे को भी टिटनेस होने का खतरा बहुत कम होता है। 

टीटी की वैक्सीन में भी इस तरह के परिणाम देखे गए हैं
गर्भावस्था में माताओं को वैक्सीन देते हैं, तो माता के शरीर में एंटीबॉडी बनती है। मां का रक्त ही शिशु तक पहुंचता है। इससे बच्चा भी जन्म लेने के बाद काफी हद तक सुरक्षित रहता है। इस तरह के परिणाम टीटी की वैक्सीन में भी आते हैं। गर्भावस्था में माता को टीटी के दो डोज लेने अनिवार्य होता है। इससे बच्चे के जन्म लेने के बाद टिटनेस का खतरा कम हो जाता है। माता के दूध से ही एंटीबॉडी जाती है, यह स्पष्ट रूप से कह नहीं सकते। इस विषय पर अब तक कोई स्टडी हमारे सामने नहीं आई है।
-डॉ. सीमा पारवेकर, अधीक्षक, डागा स्मृति शासकीय स्त्री अस्पताल 
 

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