और बंद हो गई बस, जाड़े में छूटने लगा पसीना

घने जंगलों से गुजरता हुआ ...... और बंद हो गई बस, जाड़े में छूटने लगा पसीना

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-08 12:48 GMT
और बंद हो गई बस, जाड़े में छूटने लगा पसीना

डिजिटल डेस्क,  चंद्रपुर।  ताड़ोबा जंगल के पास राज्य परिवहन निगम की एक बस मंगलवार 6 दिसंबर की शाम 6 बजे बंद पड़ गई। बस में यात्रियों के साथ 40 विद्यार्थी स्कूल से अपने घर जाने के लिए सवार हुए थे। अचानक जंगल के पास बस बंद पड़ जाने से विद्यार्थी कंपकंपाती ठंड में मदद का इंतजार करने लगे। साथ ही परिसर में मौजूद हिंसक प्राणियों की वजह से डरे हुए भी थे। इस दौरान दुर्गापुर के थानेदार स्वप्निल धुले ग्राम पंचायत चुनाव मतदान केंद्र का जायजा लेकर लौट रहे थे कि उन्हें बस दिखाई दी। जानकारी लेने पर पता चला कि बस में यात्रियों के साथ 40 विद्यार्थी भी हैं। दूसरी बस कब तक आएगी यह सोचकर उन्होंने थाने के सरकारी वाहन और आगरझरी जंगल सफारी की मदद से विद्यार्थियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाया, जिससे विद्यार्थी और उनके परिजनों ने राहत की सांस ली।

 दुर्गापुर के थानेदार स्वप्निल धुले मंगलवार की शाम अड़ेगांव जिला परिषद शाला के ग्रापंचुनाव के मतदान केंद्र का मुआयना कर दुर्गापुर लौट रहे थे। इस दौरान शाम 6 बजे चंद्रपुर -देवाड़ा रापनि की बस क्रं. एमएच 34 एन 8916 सड़क किनारे बंद दिखाई दी। साथ ही बस में सवार कुछ विद्यार्थी और अन्य यात्री चिंतित होकर दूसरी बस का इंतजार कर रहे थे। थानेदार ने बस के बंद पड़ने का कारण पूछा तो बस चालक ने बताया कि आइल लीक होने की वजह बस ब्रेक डाउन होकर बंद पड़ गई है। ताड़ोबा जंगल बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध है और अंधेरा होने के बाद आस पास के गांव के नागरिक बाहर नहीं निकलते क्योंकि उन्हंे खतरा होता है और वनविभाग की ओर से भी कुछ सुझाव दिए गए हैं। इससे विद्यार्थी और यात्री चिंचित होकर दूसरी बस का इंतजार कर रहे थे। शाम का समय, जंगल का परिसर और खराब बस में ठंड से ठिठुरते विद्यार्थी, चंद्रपुर डिपो से बस कब तक आएगी  इसकी कोई गारंटी नहीं होने से थानेदार स्वप्निल धुले ने अपनी सम सूचकता और तत्परता दिखाते हुए उन सभी विद्यार्थियोंं को घर पहुंचाने की ठानी। उन्होंने थाने के अपने सरकारी वाहन और एक दो जंगल सफारी के चालकों को रोककर बच्चाें को घर तक छोड़ने की विनंती की। इस प्रकार विद्यार्थियों को जंगल सफारी और थाने के वाहन से घर तक पहुंचाया गया। घर पहुंचकर जब विद्यार्थियों ने परिजनों को आप बीती सुनाई तो अभिभावकों ने राहत की सांस ली और थानेदार का आभार माना।
 

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