निलंबित होने के बाद भी पद पर बने हुए हैं प्रभारी प्राचार्य, अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई
निलंबित होने के बाद भी पद पर बने हुए हैं प्रभारी प्राचार्य, अधिकारी नहीं कर रहे कार्रवाई
डिजिटल डेस्क दमोह, हटा। शासकीय योजनाओं में अनियमितताएं बरतने के आरोप पर जांच में दोषी पाए जाने के पर निलंबित होने के बाद भी यदि कोई शासकीय कर्मचारी अपने पद से न हटे तो मामला गंभीर नजर आता है, वहीं नियमविरुद्ध पद पर डटे होने की जानकारी व शिकायत होने के बाद भी अधिकारी इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं कर रहे जो हैरानी पैदा करता है।
योजनाओं में किया था लाखों का घपला
मामले में प्राप्त जानकारी अनुसार मुख्यालय के अंतर्गत ग्राम रजपुरा के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य नन्हें भाई अहिरवार द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान छात्रों को मिलने वाली साईकिल वितरण व छात्रवृत्ति की योजनाओं में अनियमिताएं व भ्रष्टाचार करते हुए, इन योजनाओं को लाभ छात्रों को देने के स्थान पर खुद उठाया था। इन मामलों की शिकायत ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों के द्वारा मार्च 17 में अधिकारियों से किए जाने के बाद मामले में जांच शुरु हुई और बीईओ हटा के द्वारा की गई जांच के बाद प्रभारी प्रचार्य नन्हे भाई पर करीव 1 लाख 80 हजार रुपए की राशि के हेरफेर की बात सामने आई थी।
जांच रिपोर्ट पर हुए थे निलंबित
जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद जांच रिपोर्ट को जिला शिक्षा अधिकारी को दिया गया और जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा कलेक्टर को जांच रिपोर्ट भेजे जाने पर कलेक्टर द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया था। वहीं निलंबित किए गए प्रभारी प्रचार्य द्वारा निलंबन के बाद भी न तो किसी अन्य को चार्ज सौपंा गया और नाहीं वह उक्त पद से हट रहे है और जबरन प्रभारी प्रचार्य के रुप में जमे होकर वित्तीय कार्यो सहित अन्य जगहों पर उनके द्वारा अपने पद का प्रयोग किया जा रहा है।
दो प्रभारी और स्टाफ परेशान
अपने निलबंन के बाद भी अवैधानिक रूप से आदेशों को दरकिनार करते हुए नन्हें भाई अहिरवाल द्वारा 25 अगस्त 17 को विद्यालय का ताला तोड़कर सारे रिकार्ड अपने साथ ले गये। इस बात की शिकायत उनके स्थान पर प्रभारी प्राचार्य बनाए गए अजय मोहन तिवारी द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को की गई थी लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। वहीं निलंबित प्रभारी प्राचार्य द्वारा अपने पद पर जवरन डटे होने के चलते विद्यालय में दो प्रभारी होने से पूरा स्टाफ परेशान है कि किसके आदेशों पर अमल करे और किस के आदेशों को न माने। वहीं आरोप है कि निलंबित प्रभारी द्वारा आज भी निरीक्षण आदि जैसी बातें की जाती है जबकि उन्हें निलंबन अबधि का जीवन निर्वाह भत्ता भी प्राप्त हो रहा है। इस सबके बाद भी शिक्षा विभाग के आला अधिकारी जानकारी होने के बाद भी कोई निर्णय नही कर सके और न ही निलंबित प्राचार्य को पद से हटाने में नाकाम साबित हो रहे है और इसका सीधा सीधा असर विद्यालय में अध्ययन करने वाले छात्रों पर भी हो रहा है।