8 साल पहले अस्पताल की लापरवाही से 20 वर्षीय कुणाल की जान गई, पिता ने उपभोक्ता विभाग में परिवाद लगाया, अब आयोग ने डॉक्टरों और चोइथराम अस्पताल पर 7 लाख रुपए का लगाया हर्जाना

8 साल बाद मिला न्याय 8 साल पहले अस्पताल की लापरवाही से 20 वर्षीय कुणाल की जान गई, पिता ने उपभोक्ता विभाग में परिवाद लगाया, अब आयोग ने डॉक्टरों और चोइथराम अस्पताल पर 7 लाख रुपए का लगाया हर्जाना

Bhaskar Hindi
Update: 2023-01-16 15:58 GMT
8 साल पहले अस्पताल की लापरवाही से 20 वर्षीय कुणाल की जान गई, पिता ने उपभोक्ता विभाग में परिवाद लगाया, अब आयोग ने डॉक्टरों और चोइथराम अस्पताल पर 7 लाख रुपए का लगाया हर्जाना

डिजिटल डेस्क, इंदौर। चोइथराम अस्पताल और वहां काम कर रहे डॉक्टरों की लापरवाही से करीब 8 वर्ष पहले 20 वर्षीय युवक की जान चली गई थी। युवक के पिता ने अस्पताल और डॉक्टरों के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष गुहार लगाई। जांच में लापरवाही साबित होने के बाद आयोग ने अस्पताल प्रबंधन और वहां काम करने वाले न्यूरो सर्जन डॉक्टर रूपायन, न्यूरो सर्जन डॉक्टर विजी डाक वाले, प्लास्टिक सर्जन डॉक्टर डैश, ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर येवतीकर, एनेस्थेटिक डॉक्टर पलसुले, और रेडियोलॉजिस्ट डॉ एसके चतुर्वेदी पर 7 लाख रूपए का हर्जाना लगाया है। मेडिकल बोर्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में माना था कि अगर मरीज को 24 से 48 घंटे के विस्तार सही उपचार मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी। 

पिता सुनील शर्मा ने बताया कि मेरे बेटे कुणाल शर्मा 20 वर्षीय निवासी विनय नगर 12 नवंबर 2013 की शाम करीब 6:00 बजे सड़क हादसे में घायल हो गए थे उन्हें तुरंत चोइथराम अस्पताल में डॉक्टर वीजी डाक वाले की निगरानी में भर्ती कराया गया था। पिता शर्मा के मुताबिक कुणाल को घुटने चेहरे आदि जगह चोट आई थी, अस्पताल के डॉक्टर उन्हें बगैर बताए, कुणाल का इलाज करते रहें, उपचार के दौरान कुणाल बहुत चिड़चिड़ा हो गया था। पिता शर्मा ने बताया कि जब कुणाल की स्थिति बिगड़ी की तो उन्होंने ड्यूटी डॉक्टर से विशेषज्ञ से बात करने की गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल के डॉक्टर ने इससे इंकार कर दिया, पिता सुनील अस्पताल के निर्देशानुसार पैसा जमा जमा कराते रहें, जब उन्होंने आर्थिक तंगी की बात कही तो 26 नवंबर 2013 को डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि कुणाल की मौत हो गई है।

बेटे को खो चुके पिता सुनील शर्मा ने वर्ष 2015 में चोइथराम अस्पताल प्रबंधन और वहां के डॉक्टरों के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया। जिस पर जिला उपभोक्ता आयोग ने फैसला करते हुए चोइथराम अस्पताल और वहां के डॉक्टरों पर 7 लाख का हर्जाना लगाया। फैसले के बाद पिता सुनील शर्मा बोले की इन डॉक्टरों की लापरवाही से मेरा बेटा तो इस दुनिया से चला गया, 8 साल बाद आयोग ने अस्पताल प्रबंधन पर जो फैसला सुनाया कोई मेरे बेटे को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि मैंने बहुत ही मत जुटाकर उपभोक्ता आयोग में 8 साल तक लड़ाई लड़का डॉक्टर की लापरवाही को उजागर किया है और मेरे परिवार के साथ न्याय हुआ है। पिता सुनील शर्मा ने कहा कि इससे अन्य अस्पतालों और डॉक्टरों को भी सबक लेना चाहिए ताकि आगे किसी के नौनिहाल के जीवन के साथ खिलवाड़ ना हो।

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