54 दिन बीते, अभी इससे ज्यादा करना होगा इंतजार
आरक्षण विधेयक 54 दिन बीते, अभी इससे ज्यादा करना होगा इंतजार
डिजिटल डेस्क, रायपुर। दिसंबर महीने में बुलाए गए विशेष सत्र में विधानसभा द्वारा पारित आरक्षण संशोधन विधेयक जल्द राजभवन से बाहर आता नहीं दिख रहा। 54 दिन से राजभव में अटके इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने से राज्यपाल ने एक बार फिर इंकार कर दिया है। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उईके ने पिलहाल विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करने की बात कही है। यहां मीडिया द्वारा पूछे गए तद्संदर्भित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा ‘अभी मार्च तक का इंतजार करिए।’ यानि आरक्षण विधेयकों के राजभवन से बाहर निकलने में अभी कहीं ज्यादा वक्त लगना तय है।
राज्यपाल द्वारा अपना रूख साफ कर दिए जो के बाद एक बार फिर सूबे की सियासत में गरमाहट आ सकती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पूरे मसले पर कई बार अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने राजभवन के विधिक सलाहकार को भाजपा का एजेंट तक बताया। यहां तक कि विधेयक पर जल्द हस्ताक्षर की मांग को लेकर पखवाड़े भर पहले पूरी सरकार राज्यपाल से मिल चुकी है। सूत्रों के मताबिक राज्यपाल अन्य पिछड़ा वर्ग को दिये गये 27 प्रतिशत आरक्षण की वजह से विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं।
मुख्यमंत्री बोले- मार्च में कौन सा मुहूर्त, भाजपा के इशारे पर रुका बिल
राज्यपाल अनुसुईया उइके के उक्त बयान पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ने तीखे और सवालिया लहजे में कहा ‘मार्च तक क्यों इंतजार करना चाहिए, मुहूर्त देख रही हैं?’ मुख्यमंत्री ने कहा, यहां सब परिक्षाएं हैं, बच्चों को एडमिशन लेना हैं, व्यापम में परीक्षा होनी है, पुलिस में भर्ती होनी है, शिक्षकों की भर्ती होनी है, हेल्थ डिपार्टमेंट सहित सभी भर्तियां होनी हैं और ये रोके बैठे हैं। उन्होंने कहा, ये संविधान में प्राप्त अधिकारों का दुरुपयोग है। इस मामले में भाजपा चुप है, भाजपा के इशारे पर ही इसे रोका जा रहा है। ये प्रदेश के युवाओं के साथ अन्याय है।