१७८ बार रेलवे गेट बंद होने से लगने वाले जाम से मिलेगी मुक्ति
पांढुर्ना में बनेगा आरओबी १७८ बार रेलवे गेट बंद होने से लगने वाले जाम से मिलेगी मुक्ति
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। महाकौशल से विदर्भ को जोडऩे वाले मुख्य मार्ग पांढुर्ना से अमरावती के बीच अब रेलवे फाटक की बाधा खत्म होने वाली है। चेन्नई टू दिल्ली रूट का उक्त रेलवे फाटक २४ घंटे में १७८ ट्रेनें अप डाउन करती हैं। यानी हर घंटे में चार से पांच बार फाटक बंद करने की मजबूरी है। शासन स्तर से हरी झंडी के बाद पीडब्ल्यूडी ब्रिज विभाग ने रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए सर्वे के बाद अब ड्राइंग-डिजाइन व डीपीआर की तैयारी शुरू कर दी है। ओवर ब्रिज की लंबाई करीब ८०० मीटर होगी। वहीं लागत ६० करोड़ रुपए से ज्यादा की हो सकती है। खासबात यह कि रेलवे और पीडब्ल्यूडी विभाग की ५०-५० की भागीदारी से उक्त ओवर ब्रिज का निर्माण होगा। रेलवे अपने हिस्से की ५० फीसदी लागत राशि पीडब्ल्यूडी ब्रिज को देगा। जबकि ओवर ब्रिज का निर्माण लोक निर्माण विभाग की सेतु विंग कराएगी।
दिन में दो बार तो २० से २५ मिनट तक बंद रहते हैं फाटक:
पांढुर्ना-अमरावती मार्ग पर जवाहर वार्ड वरूड नाका के पास रेलवे फाटक दिन में कम से कम दो बार तो २० से २५ मिनट तक के लिए बंद होता है। वजह ट्रेनों की क्रासिंग बनती है। अप-डाउन ट्रेनों की एक टाइमिंग होने की वजह से उक्त स्थिति बनती है। सामान्य तौर पर फाटक ५ से १० मिनट के लिए ही बंद होता है।
पांढुर्ना के लोग ४२ साल से करते आ रहे मांग:
रेलवे फाटक के बार-बार बंद होने और उस पार जाने के लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं होने से परेशान पांढुर्ना के लोग करीब ४२ साल से आरओबी निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। वर्ष१९८० से क्षेत्र के लोग मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। जिस पर रेलवे और प्रदेश सरकार ने अब सुध ली है।
रेलवे की तीसरी लाइन के कारण बनी मजबूरी:
कहा यह भी जा रहा है कि रेलवे की तीसरी लाइन का काम लगभग पूरा होने की स्थिति में है। रेलवे ने वर्ष २०२५ तक तीसरी लाइन शुरू करने का अल्टीमेटम राज्य सरकार को दे रखा है। तीसरी लाइन शुरू होते ही पांढुर्ना-अमरवती मार्ग बंद हो जाएगा। ऐसे में राज्य सरकार की आरओबी निर्माण की मजबूरी बन गई है।
ट्रेनों के साथ ही सडक़ पर भी हेवी ट्रेफिक:
ग्रेन ट्रंक रूट पर ट्रेनों के दबाव के साथ ही महाकौशल या यूं कहें कि मध्यप्रदेश से विदर्भ (महाराष्ट्र) को जोडऩे वाले पांढुर्ना-अमरावती मार्ग पर सडक़ पर भी हेवी ट्रेफिक बना हुआ है। हर दिन उक्त मार्ग से करीब १ हजार ट्रकों का आवागमन होता है। बड़े व छोटे यात्री वाहनों की संख्या भी लगभग इतनी ही है। वरूड, अमरावती और वर्धा समेत आसपास क्षेत्र और इधर पांढुर्ना, सौंसर, छिंदवाड़ा, मुलताई और बैतूल जिला उक्त मार्ग पर निर्भर है।
इनका कहना है...
पांढुर्ना में आरओबी का निर्माण बजट में शामिल कर लिया गया है। ड्राइंग डिजाइन तैयार करने के साथ डीपीआर भी प्रस्तुत की जा रही है। प्रशासनिक मंजूरी के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।
- नरेंद्र शर्मा, ईई, पीडब्ल्यूडी ब्रिज