152 बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं हो रहा
सरकार ने दी सहूलियत, लेकिन 152 बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं हो रहा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोनाकाल के दौरान सरकार ने महात्मा फुले जन स्वास्थ्य योजना अंतर्गत 1148 बीमारियों का इलाज निजी अस्पताल में करने की सहूलियत दी थी। अब 152 बीमारियों को इसमें से अलग कर दिया गया है। इन बीमारियों का इलाज केवल सरकारी अस्पतालों में ही कराना पड़ेगा, तभी योजना अंतर्गत लाभ मिल पाएगा। वर्तमान में 996 बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में करने की अनुमति दी गई है। बता दें कि महात्मा फुले जन स्वास्थ्य योजना अंतर्गत 1148 बीमारियों का इलाज शहर के सरकारी व निजी मिलाकर कुल 38 अस्पतालों में होता था।
कोरोनाकाल में दी थी सहूलियत
कोरोनाकाल के दौरान सरकारी अस्पतालों की हालत देखकर सरकार ने 152 बीमारियों का इलाज करने के लिए निजी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया था। शहर में 30 अस्पतालों के माध्यम से इलाज किया जा सकता था। कोरोना की दूसरी लहर कम होने के बाद मई महीने से सरकार ने वापस पुरानी नियमावली लागू कर दी है। महात्मा फुले जन आरोग्य योजना अंतर्गत मरीजों को 1148 तरह की बीमारियों का नि:शुल्क इलाज करने के लिए 1 लाख 50 हजार रुपए तक की मदद मिलती है। वहीं आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना अंतर्गत 1209 तरह की बीमारियों का इलाज करने 5 लाख रुपए तक की मदद मिलती है।
नियमावली पूर्ववत की गई
कोरोनाकाल के दौरान सरकारी अस्पतालों के हालातों को देखते हुए कुछ बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में करने की सहूलियत दी गई थी। यह सरकारी स्तर पर हुआ था। दूसरी लहर के कम होते ही स्वास्थ्य योजनाओं के अमल के पहले जो नियमावली थी, वह पूर्ववत कर दी गई है। पहले भी कुछ बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में ही करना पड़ता था, अब भी वही स्थिति है। - डॉ. सैयद कदीर, समन्वयक
सरकारी अस्पतालों में जाने की इच्छा नहीं होती
सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने में हिचकिचाहट होती है। वहां की व्यवस्था को लेकर हमेशा संदेह होता है। स्वास्थ्य योजना अंतर्गत कुछ बीमारियों का इलाज करवाने से मना किए जाने से परेशानी होगी। -प्रेमचंद धुरिया, स्थानीय निवासी
हर्निया, अपेंडिक्स, हाइड्रोसिल सामान्य हो चुका है। फिर भी सरकारी अस्पतालों में जाने की इच्छा नहीं होती। योजना अंतर्गत निजी अस्पतालों में इन बीमारियों के इलाज की अनुमति होनी चाहिए। -शेख अकील, स्थानीय निवासी
लोग सरकारी के मुकाबले निजी अस्पतालों को ही प्राथमिकता देते हैं। इसलिए स्वास्थ्य योजना अंतर्गत सभी बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में करवाने की सहूलियत मिलनी चाहिए। - प्रभाकर दुलेवाले, स्थानीय निवासी