राहुल गांधी के मणिपुर दौरे के क्या है मायने? कांग्रेस को कितना मिलेगा लाभ? जानिए पूर्वोत्तर राज्य का सियासी दांव पेंच
मणिपुर दो दिवसीय दौरे पर गए हैं राहुल गांधी
डिजिटल डेस्क, इंफाल। मणिपुर में करीब 55 दिनों से हालात बहुत ही नाजुक बने हुए हैं। मैतेई और कुकी समुदाय आमने-सामने आ खड़े हैं। जिसकी वजह से केंद्र से लेकर प्रदेश की सरकार के पसीने छूट गए हैं। पूर्वोत्तर राज्य में शांति स्थापित करने के लिए केंद्रीय सुरक्षाबल और असम राइफल्स के जवान तैनात हैं। प्रदेश के हालात पर देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी सत्तारूढ़ बीजेपी पर हमलावर है और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज मणिपुर के दौरे पर गए हुए हैं जहां वो अलग-अलग हिंसा वाले क्षेत्रों में लोगों से मिलेंगे और उनकी स्थिति का जायजा लेंगे। राहुल के दो दिवसीय मणिपुर दौरे को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं कि आखिर राहुल गांधी हिंसा वाले क्षेत्र में क्यों जा रहे हैं, क्या इसके पीछे की कोई रणनीति है या कोई और ही मामला है।
आपको बता दें कि, सबसे पहले मैतई और कुकी समुदाय में हिंसा 3 मई को भड़की थी। जिसमें काफी लोग घायल हुए थे। जिसमें बीच बचाव करने के लिए पुलिस को आना पड़ा था। पुलिस से हालात न संभल पाने पर प्रदेश की बीरेन सरकार ने केंद्र सरकार से मदद मांगी थी। जिसके बाद मणिपुर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों को भेजा गया था। करीब दो महीने से चली आ रही इस खूनी लड़ाई में 120 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी है जबकि इस हिंसा में हजारों लोग घायल हो चुके हैं। इस बीच राहुल का मणिपुर का दौरा करना सियासी गलियारों में हवा देने का काम किया है।
कांग्रेस का क्या है प्लान?
मणिपुर के दौरे पर गए राहुल को लेकर सियासत भी होने लगी है। बीजेपी राहुल पर शांति भंग करने का आरोप लगा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की यह एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। विश्लेषक मानते हैं कि, प्रदेश में जिस तरह हालात बने हुए हैं वो बीजेपी के लिए ठीक नहीं है। जिसकी हवा पिछले दिनों हमें केंद्रीय मंत्री आरके रंजन सिंह के आवास में आग लगने के तौर पर दिख चुकी है। बीजेपी सरकार के प्रति मणिपुर की जनता में जबरदस्त आक्रोश है जिसका फायदा कांग्रेस लेना चाहती है ताकि आगामी चुनाव में पार्टी के समर्थन में ज्यादा से ज्यादा लोग खड़े हो क्योंकि कांग्रेस पूर्वोत्तर राज्य से पूरी तरह खत्म हो गई है।
बीजेपी विरोध से कांग्रेस की बनेगी बात?
दो महीने से चल रही हिंसा पर केंद्र सरकार एक्टिव नजर तो आ रही है लेकिन अभी तक इस मामले में पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ नहीं बोला है। जिसको लेकर कांग्रेस काफी आक्रमक है और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी का दौरा मणिपुर में एक सोची समझी रणनीति के तहत कराई है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी जनता में यह संदेश देना चाहती है कि देश के पीएम ने अब तक इस मामले में कुछ नहीं बोला है लेकिन प्रमुख विपक्ष दल होने के नाते कांग्रेस इस मुद्दे को उठाती रही है कि मणिपुर में हिंसा शांत हो। सियासत के जानकार मानते हैं कि, अगर ऐसे ही बीजेपी के खिलाफ विरोध की आंधी बहती रही तो कांग्रेस का प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करना आसान हो जाएगा।
पूर्वोत्तर में कांग्रेस का संगठन बेहद ही कमजोर
पूर्वोत्तर राज्यों की राजनीतिक पर अपनी पैनी नजर बनाए रखने वाले राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कभी कांग्रेस का दबदबा मणिपुर से लेकर त्रिपुरा तक हुआ करता था लेकिन आज की स्थिति देखे तो कांग्रेस इन राज्यों में तीसरे या चौथे नंबर की पार्टी है। जबकि इसके उलट बीजेपी इन प्रदेशों में मजबूत स्थिति में दिख रही है। सियासी पंडितों का कहना है कि, पूर्वोत्तर के राज्यों में कांग्रेस पार्टी का संगठन बहुत ही कमजोर है जिसकी वजह से वो अपनी जीत सुनिश्चित नहीं कर पाती है। अगर कांग्रेस को जीत हासिल करना है तो वो संगठन से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़े तभी मन मुताबिक नतीजे आएंगे।