बिहार में आसान नहीं पीके के जन सुराज की राह!

सियासत में एंट्री? बिहार में आसान नहीं पीके के जन सुराज की राह!

Bhaskar Hindi
Update: 2022-05-03 13:30 GMT
बिहार में आसान नहीं पीके के जन सुराज की राह!

डिजिटल डेस्क, पटना। अब तक कई राजनीतिक दलों को चुनावी वैतरणी पार करवाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अब स्वयं सियासत में उतरने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि भले ही वे चुनावी रणनीति बनाने में सफल रहे हों, लेकिन बिहार में उनके स्वयं सियासत में उतरना और उनके जन सुराज अभियान को लेकर राह इतनी आसान नहीं है। माना जा रहा है कि पीके के इस अभियान में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। माना जाता है कि बिहार में सामाजिक समीकरण दुरूस्त करने वाले राजनीतिक दलों को ही सफलता मिलती है, ऐसे में कहा जा रहा है कि पीके के सामने बड़ी चुनौती जातीय समीकरण को दुरूस्त करने की होगी।

कहा यह भी जा रहा है कि वह जन सुराज अभियान के जरिए अन्य पार्टी के नेताओं को जोड़ने का प्रयास करेंगे। ऐसे में उनकी पार्टी में कई दलों के नेता भी साथ में देखने को मिल जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। पीके ऐसे भी कई राजनीतिक दलों के साथ काम कर चुके हैं। वैसे, देखा जाए तो बिहार में मुख्य धारा से इतर राजनीकि दलों को सफलता कम ही मिलती है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी तामझाम के साथ बिहार की सियासत में प्रवेश करने वाली पार्टी प्लुरल्स पार्टी को अब तक राज्यभर में पहचान नहीं मिल पाई है।

बिहार में अभियान चलाने की पीके की घोषणा पर बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर लिखा है कि जनता के मन-मस्तिष्क में गहरे स्थापित किसी राजनीतिक दल के लिए चुनावी रणनीति बनाना, नारे पोस्टर, घोषणा पत्र आदि बनाने में किसी पार्टी की मदद करना या इस अभियान को बहुत पेशेवर ढंग से पूरा कर लेना एक बात है, लेकिन करोड़ों लोगों की आकांक्षा पर खरे उतरने वाली राजनीति करना बिल्कुल अलग बात है।

उन्होंने यहां तक कहा कि बिहार में मुख्यधारा के चार दलों के अलावा किसी नई राजनीतिक मुहिम को कोई भविष्य नहीं है। लोकतंत्र में किसी को भी राजनीतिक प्रयोग करने या दल बनाने की पूरी आजादी है, इसलिए देश में पहले से ही सैकडों दल हैं। वैसे, पीके इससे पहले भी जदयू के रणनीतिकार की भूमिका निभा चुके हैं। इसके अलावे वे बिहार की बात मुहिम प्रारंभ की थी, लेकिन उस मुहिम में भी उन्हें वह सफलता नहीं मिली थी। इधर, कोई भी मुख्य राजनीति दल खासकर भाजपा पीके की रणनीति को बहतु ज्यादा भाव देने के मूड में नहीं दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक, पीके अपनी रणनीति का एक प्रेस कांफ्रेंस कर एक-दो दिनों में खुलासा कर सकते हैं।

(आईएएनएस)

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