मान ने पंजाब के हित दिल्ली को बेच दिए : सुखबीर
आरोप मान ने पंजाब के हित दिल्ली को बेच दिए : सुखबीर
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने मंगलवार को कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ज्ञान-साझाकरण समझौते की आड़ में राज्य के हितों को दिल्ली को बेच दिया है और अब आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब के वास्तविक मुख्यमंत्री भी बन गए हैं।
पंजाब के इतिहास में विकास को एक काला दिन बताते हुए बादल ने कहा कि राज्य के इतिहास में पहले कभी बाहरी लोगों को इस तरह से राज्य और इसकी आने वाली पीढ़ियों का नियंत्रण नहीं दिया गया था।
उन्होंने कहा, एक नगर पालिका अध्यक्ष को पंजाब के मुख्यमंत्री का प्रभार दिया गया है। पंजाब दिल्ली के अधीन हो गया है जो एक पूर्ण राज्य भी नहीं है।
मान से यह पूछते हुए कि उन्होंने दिल्ली को अपनी स्वायत्तता सौंपकर पंजाब और उसके लोगों के साथ विश्वासघात क्यों किया, बादल ने आरोप लगाया कि उन्होंने पंजाबियों के गौरव को ठेस पहुंचाई है।
सुखबीर ने कहा, समझौता यह स्पष्ट करता है कि पंजाब के सभी मंत्री और अधिकारी अब केजरीवाल को रिपोर्ट करेंगे और केजरीवाल की पंजाब सरकार की सभी फाइलों तक पहुंच होगी। यह भी समझौते के खंड 3 के रूप में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन का मामला है। यह भविष्य की सरकारों को इसके तहत लिए गए निर्णयों के लिए बाध्य करता है।
उन्होंने कहा, हम पंजाब के राज्यपाल से संपर्क करेंगे और उनसे पंजाब विरोधी समझौते पर अपनी सहमति वापस लेने के लिए मुख्यमंत्री को निर्देश देने का आग्रह करेंगे। पार्टी अपनी कोर कमेटी की एक आपात बैठक में अपनी अगली कार्रवाई की योजना भी बनाएगी।
बादल ने कहा कि समझौते के खतरनाक नतीजे हो सकते हैं। हमें आशंका है कि ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जिससे केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री को हरियाणा और दिल्ली के लिए राज्य के नदियों के पानी पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर सकते हैं, जिस तरह से कांग्रेस के मुख्यमंत्री दरबारा सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऐसा करने के लिए मजबूर किया था।
बादल ने मान से रबर स्टैंप की तरह काम नहीं करने और समझौते को रद्द करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कोई पंजाबी गौरव है, तो मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि केजरीवाल की नजर पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शुरू से ही थी।
बादल ने कहा, आप सरकार के शपथ लेने के तुरंत बाद केजरीवाल ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को दिल्ली बुलाना शुरू कर दिया और यहां तक कि तबादलों और पोस्टिंग पर निर्णय लेना शुरू कर दिया। जब इसकी आलोचना हुई तो ज्ञान-साझाकरण समझौते को लाकर व्यवस्था को संस्थागत बनाने की साजिश रची गई, जो और कुछ नहीं बल्कि पंजाब के प्रशासनिक नियंत्रण को दिल्ली सरकार को सौंपने के लिए बनाया गया एक दस्तावेज है।
(आईएएनएस)