ममता बनर्जी बोलीं- बंगाल में राजनीतिक हिंसा नहीं हुई, ये सब बीजेपी की नौटंकी
ममता बनर्जी बोलीं- बंगाल में राजनीतिक हिंसा नहीं हुई, ये सब बीजेपी की नौटंकी
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में राजनीतिक हिंसा के आरोपों को भाजपा की नौटंकी बताया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बीजेपी के दावे निराधार है। ममता बनर्जी ने कहा, अभी राज्य में कोई राजनीतिक हिंसा नहीं हो रही है। एक या दो छिटपुट घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन उन्हें राजनीतिक हिंसा की घटनाओं के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता है। बता दें कि हाल ही में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी को राज्य में चुनाव के बाद की हिंसा के मामलों पर चुप्पी साधने पर एक पत्र लिखा था। इस पत्र के बाद ही ममता बनर्जी का बयान सामने आया है।
राज्यपाल ने लिखा था, आपकी तरफ से केवल चुप्पी है और आपने कैबिनेट की अब तक किसी भी बैठक में इस गंभीर मानवीय त्रासदी पर विचार-विमर्श करना भी जरूरी नहीं समझा। धनखड़ ने कहा कि जब वो मई में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों के दौरे पर गए थे, तब लोगों ने आगजनी, लूट, रेप और हत्याओं की दिल दहला देने वाली दास्तां सुनाई। धनखड़ ने लिखा, इस नरसंहार का एक चिंताजनक आधार उन लोगों में भय पैदा करना है, जिन्होंने सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ मतदान करने का साहस किया। मुख्यमंत्री मैडम, आप सहमत होंगी कि ऐसा दृश्य लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी लगता है। लोकतंत्र में वोट के अधिकार का प्रयोग करने के लिए लोगों को कैसे परेशान किया जा सकता है?
वहीं ममता बनर्जी ने ट्विटर के साथ केंद्र सरकार के विवाद के लिए भाजपा के नतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि केंद्र माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को प्रभावित करने में विफल रहा है, अब इसे बुलडोज़ करने की कोशिश कर रहा है। वे हर किसी के साथ ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं जिसे वे मैनेज नहीं कर पा रहे हैं। वे मुझे नियंत्रित नहीं कर सकते, और इसलिए वे मेरी सरकार को भी बुलडोज़ करने की कोशिश कर रहे हैं।
मिनिस्टर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को ट्विटर के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की थी। प्रसाद ने कहा था, इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर सेफ हार्बर प्रोविजन का हकदार है। इस मामले का साधारण तथ्य यह है कि ट्विटर मई से लागू हुए दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा है।
बता दें कि सोशल मीडिया कंपनियों और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए सरकार फरवरी में नए नियम लेकर आई थी। सभी को नियमों का पालन करने के लिए 25 मई तक का समय दिया गया था। इन नियमों के तहत, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स को भारत में रेसिडेंट ग्रीवेंस ऑफिसर, चीफ कंप्लाइंस ऑफिसर और नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन नियुक्त करना था। नए नियमों में ओटीटी और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपनी पूरी जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कहा गया है। नए नियमों में कंपनियों से कहा गया है कि उनका शिकायत अधिकारी को 24 घंटे के अंदर शिकायत को सुनना होगा और 14 दिन के अंदर उसका समाधान करना होगा।