जानिए बागपत विधानसभा सीट का चुनावी गणित, टक्कर में कौन ?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 जानिए बागपत विधानसभा सीट का चुनावी गणित, टक्कर में कौन ?

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-08 08:14 GMT
जानिए बागपत विधानसभा सीट का चुनावी गणित, टक्कर में कौन ?
हाईलाइट
  • अबकी बार बागपत की डोर किसके हाथ

डिजिटल डेस्क, बागपत।  उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीटों में बागपत विधानसभा सीट शुमार है, बागपत के लिए चुनावों के पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होना है। बागपत विधानसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। हालांकि मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा गठबंधित राष्ट्रीय लोक दल में माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस के प्रत्याशी भी टक्कर में नजर आ रहे हैं। वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषक बीएसपी के हाथी को भी कम नहीं आंक रहे है। 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां से पहली बार बीजेपी ने जीत दर्ज की। जाट बाहुल्य इलाके में किसानों का प्रमुख मुद्दा गन्ना है। ये सीट  राष्ट्रीय लोकदल का परंपरागत गढ़ रहा है।

                           

आज हम उत्तर प्रदेश के बागपत विधानसभा सीट की चुनावी गणित बारे में बात करेंगे। आखिरकार यहां किस किस के बीच है कड़ा  मुकाबला, आइये  सिलसिलेवार तरीके से जानते है बागपत विधानसभा सीट का चुनावी  गणित।

बागपत विधानसभा क्षेत्र में करीब सवा तीन लाख मतदाता हैं। बागपत विधानसभा सीट मुस्लिम बाहुल्य सीटों में गिनी जाती है। बागपत विधानसभा क्षेत्र में जाट और ब्राह्मण वोटर भी मजबूत स्थिति में हैं। बागपत विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोक दल का दबदबा रहा है। बागपत विधानसभा सीट से आरएलडी के नवाब कोकब हमीद पांच बार विधायक रहे। वे कैबिनेट मंत्री भी रहे। कोकब हमीद के बाद बागपत विधानसभा सीट पर बहुजन समाज पार्टी  की हेमलता चौधरी ने भी जीत दर्ज की। किसी की भी जीत में जाट वोट यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। जबकि जाट-मुस्लिम समीकरण  बागपत में जीत को तय करता है जिसका ज्यातादर फायदा अभी तक आरएलडी को मिलता रहा है।  

वेस्ट यूपी के जाट लैंड में बिगड़ते बीजेपी के चुनावी समीकरण के बीच  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह  ने जाटों को साधने के लिए जाटलैंड में काफी मेहनत कर रहे है,उन्होंने  मंच सड़क रैली सभा यात्रा बैठक से जाटों को साधने का भरपूर प्रयास किया है। हालांकि इलाके में महंगाई, सुरक्षा,आवारा पशुओं की समस्या, किसान और गन्ना मुद्दा खूब उछला है। इलाके के कई किसानों का कहना है कि बीजेपी की योगी सरकार में गन्ना का दाम सिर्फ 25 रुपये बढ़ा जबकि अखिलेश ने 70 रुपये और मायावती ने 100 रुपये बढ़ाया था। कई लोग बीएसपी के मायावती शासनकाल में मिली सुरक्षा व्यवस्था की तारीफ करते हुए नहीं थकते।  

आज भी जाटलैंड के किसान कहते है कृषि कानूनों के चलते किसानों को कड़कड़ाती  ठंड गर्मी और बरसात में  साल भर सड़क पर गुजारना पड़ा।   कुछ लोगों साफ तौर पर यह कहते हुए नहीं थकते कि पिछली बार अपने बीजेपी को वोट किया था, पर इस बार नहीं।  कुछ लोग  बीजेपी से तंग होने की बात करते है तो कोई बीजेपी के विकास, बिजली, राशन और आवास की बात करता है। 

आपको बता दें साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार योगेश धामा ने बागपत सीट बहुजन समाज पार्टी के अहमद हमीद को मात देते हुए बीजेपी की झोली में डाली।  बीजेपी ने बसपा प्रत्याशी को 31360 मतों से हराया था। लेकिन  बसपा के हमीद अब सपा गठबंधित आरएलडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे है। बसपा ने गुर्जर समाज के कसाना को उतार मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। अब देखना ये होगा जाट लैंड का मतदाता किसे सियासी कुर्सी सौंपता है। ये 10 मार्च को आने वाले नतीजे ही बता सकेंगे। 

 

 


 

 

 

 

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