दो जगह से चुनाव लड़ने वाले जन प्रतिनिधियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में ईसी
नई दिल्ली दो जगह से चुनाव लड़ने वाले जन प्रतिनिधियों पर शिकंजा कसने की तैयारी में ईसी
- ईसी की मजबूरी उपचुनाव कराना
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सियासत का मचा चकने वाले सियासतदारों के लिए चुनाव आयोग एक बड़ी मुसीबत लेकर आ रहा है। दरअसल ईसी दो दशक पुराने एक कानून पर विचार करते हुए सरकार से कहा है कि एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने वाले कानून पर प्रतिबंधित कर संशोधन करने पर विचार करने को कहा है। यहां तक कि आगे आयोग ने कहा है कि यदि एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंधित नहीं लगता तो इस परंपरा को बंद करने या इस पर रोक लगाने के लिए भारी जुर्माना लगाने का नियम बनाने के लिए कहा है। ताकि ऐसी परंपरा को बंद किया जा सके। क्योंकि एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी यदि दो सीटों पर जीतता है तो एक सीट को खाली करना पड़ता है ऐसे में उस सीट पर 6 महीने के अंदर उपचुनाव कराना होता है , जिससे आयोग को नुकसान उठाना पड़ता है। जो ईसी की मजबूरी भी बन जाती है।
एबीपी न्यूज के मुताबिक वर्ष 1996 में जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके यह व्यवस्था की गई कि कोई भी प्रत्याशी एक चुनाव में दो से अधिक सीटों से चुनाव लड़ सकता हैं। इस संशोधन से पहले तक चुनाव लड़ने के लिए सीटों की संख्या की कोई सीमा तय नहीं थी। खबर के मुताबिक एक अधिकारी ने अपने तर्क में मौजूदा व्यवस्था यदि बनी रहती है तब उपचुनाव का पूरा खर्च उस व्यक्ति से वसूला जाए जिसके कारण सीट पर उपचुनाव हुआ। दूसरा प्रस्ताव यह भी सामने आया कि विधानसभा सीट के उपचुनाव में पांच लाख रुपये और लोकसभा के उपचुनाव में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की बात प्रस्ताव में चर्चा के दौरान सामने आई।
जानकारी के मुताबिक सबसे पहले यह प्रस्ताव 2004 में आया था। लेकिन ईसी से रिलेटेड मामलों में विधायी विभाग सरकार की नोडल एजेंसी काम करती हैं। अभी तक कोई भी जन प्रतिनिधि एक सीट पर ही प्रतिनिधित्व कर सकता है, अगर कोई प्रत्याशी दो सीट पर चुनाव लड़ता है और दोनों पर ही जीतता है तो उस जनप्रतिनिधि को एक सीट पर ही प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है।