विधानसभा चुनाव के बाद एमएसपी पर समिति गठित होगी

नई दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद एमएसपी पर समिति गठित होगी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-02-04 11:30 GMT
विधानसभा चुनाव के बाद एमएसपी पर समिति गठित होगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की जांच करने और इसे प्रदान करने के लिए एक समिति गठित करने के लिए प्रतिबद्ध है। समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्य सुखराम यादव के एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि सरकार से चुनाव आयोग की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्तावित समिति का ब्योरा दिया जाएगा। चौधरी ने कहा, जैसा कि 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले देश भर के कई राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू है, सरकार ने समिति के विवरण की घोषणा नहीं की है।

बाद में, कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, जैसा कि प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि हम एमएसपी के मुद्दे के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें एमएसपी तय करने के लिए एक समिति बनानी थी, लेकिन इसी बीच विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा कर दी गई। उन्होंने सदन को यह भी बताया कि कृषि मंत्रालय ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इसकी अनुमति मांगी थी। अनुरोध का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि मंत्रालय को समिति गठित करने से पहले चुनाव का इंतजार करना चाहिए।

इससे पहले, शून्यकाल के दौरान शिवसेना सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का मुद्दा उठाया और कहा कि कश्मीरी पंडितों की सहायता के लिए केवल 15 प्रतिशत पुनर्वास कार्य पूरा किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद, देश के बाकी हिस्सों के लोगों को केंद्र शासित प्रदेश में जमीन और अन्य संपत्ति खरीदने की अनुमति दी गई है और कश्मीरी पंडित अपनी संपत्ति वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने चेयरमैन के माध्यम से सरकार से ट्रांजिट आवास इकाइयों के निर्माण में तेजी लाने का भी आग्रह किया।

देश में बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए राजद विधायक मनोज झा ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्यों और केंद्र को राष्ट्रीय रोजगार नीति पर मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा, पार्टी लाइनों के पार हमें एक साथ काम करना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बेरोजगारी चुनाव में भी कोई मुद्दा नहीं लगता है। हम इसे अब और अनदेखा नहीं कर सकते हैं, हम एक प्रकार के ज्वालामुखी के भंवर में बैठे हैं और किसी भी समय इसके उबाल मारने या ब्लास्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।

नेशनल पीपुल्स पार्टी के सदस्य वानवीरॉय खारलुखी ने खासी और गारो भाषाओं को प्रमुख भाषाओं में शामिल करने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनके राज्य मेघालय में पिछले पचास वर्षों से कोई मान्यता प्राप्त भाषा नहीं है। उन्होंने सरकार से संविधान की आठवीं अनुसूची में खासी और गारो भाषाओं को शामिल करने का अनुरोध किया।

(आईएएनएस)

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