चुनावी लहर पार करने के लिए नौका लेकर गंगा में उतरी भाजपा
उत्तर प्रदेश चुनावी लहर पार करने के लिए नौका लेकर गंगा में उतरी भाजपा
- गंगा किनारे वोटबैंक पर बीजेपी की नजर
डिजिटल डेस्क, लखनऊ । उत्तर प्रदेश में होंने वाले विधानसभा चुनाव से पहले गंगा किनारे रहने और यहां से ही अपनी आजीविका चलाने वाले निषाद, बिंद और मछुआरा समाज के लोगों के बीच भारतीय जनता पार्टी अपनी पैठ और मजबूत करने का प्रयास में जुट गयी है। इसी के तहत वह कमल नौका रैली निकाल कर इनके बीच अपने समीकरण को मजबूत करने के प्रयास में लगी है।
भाजपा जानती हैं कि पिछड़ों को वोट बैंक में निषाद, मछुआरा समाज का वोट बहुत महत्वपूर्ण कड़ी हो सकता है। इसी कारण वह चुनावी लहर पार करने के लिए पार्टी गंगा में नौका लेकर उतर गयी है। निषाद वोटों की अहमियत को जानते हुए 2019 में भाजपा के चाणक्य अमित शाह ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया था। पार्टी ने प्रवीण निषाद को टिकट दिया और वह संत कबीर नगर निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल करने में सफल रहे थे। वोट बैंक को सहेजने के लिए भाजपा ने जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा भेजा। 2022 में होंने वाले विधानसभा चुनाव के लिए निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के साथ गठबंधन भी किया है और उन्हें विधानपरिषद भी भेजा है।
भाजपा के जानकारों का मानना है कि अगर राजभर का वोट उनके पाले से कुछ खिसकेगा तो उसकी भरपाई निषाद वोटों के जरिए से कर ली जाएगी। इसकी वजह ये है कि पूरे राज्य में तकरीबन पाच प्रतिशत वाले इस समाज के वोट बैंक का ठीक-ठाक प्रभाव है। इनकी कई उपजातियां भी है। मल्लाह, केवट, बिंद, कश्यप और सोरहिया। गाोरखपुर, गाजीपुर, बलिया, संतकबीर नगर, मऊ, मिजार्पुर, भदोही, वाराणसी, प्रयाग ,फतेहपुर, मछलीषहर, लालगंज, आजमगढ़ और हमीरपुर जिले में निषाद मतदाताओं की संख्या अधिक है।
गंगा किनारे के हर क्षेत्र में कुछ न कुछ मछुआरा और निषाद समाज के लोग हैं। कई दर्जन विधानसभाओं में इस जाति का अच्छा प्रभाव माना जाता है। हलांकि कुछ जगह यह अलग-अलग खेमों में बंटे हैं। इनके समाज के अपने नेता भी है। इसी कारण भाजपा इसी वोट बैंक पर और ज्यादा फोकस करने के लिए इस यात्रा को निकालने की शुरूआत कर चुकी है।
भाजपा के प्रदेश महामंत्री अश्विनी त्यागी ने बताया कि राज्य में गंगा किनारे रहने वाले नौका के जरिए ही अपना भरण पोषण करने वालों को और अधिक सम्मान देंने के लिए भाजपा ने कमल नौका रैली की शुरूआत की है। कुल पांच यात्राएं निकलनी है। पहली यात्रा 31 अक्टूबर प्रयागराज से हुई थी। इसके बाद कानपुर, फिर बदायूं के कछला में हो चुकी है। इसके बाद गढ़मुक्तेश्वर, और फिर 13 नवम्बर को काशी में यात्रा निकाली जाएगी। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का मकसद नदी किनारे रहने वाले लोगों को जागरूक करना है। इस दौरान उनके लिए चलाई जा जनकल्याणकारी उपलब्धियां भी बताई जाती है। कमल नौका रैली में सरकार और संगठन के लोग रहते है। अभी तक के कार्यक्रम में तकरीबन 300 के आस-पास नौकाएं रही है। इसका समाज में बहुत प्रभाव है।
मछुआरा प्रकोष्ठ का संयोजक व राज्य सभा सांसद जय प्रकाश निषाद ने बताया कि निषाद समाज को मुख्यधारा से वंचित रखा गया है। इन्हें किसी राजनीतिक पार्टी ने बड़े आयोजन का सहभागी नहीं बनाया है। इसी कारण भाजपा ने इन्हंे और उचित सम्मान देने के लिए कमल नौका रैली निकालने का निर्णय लिया है। नौका रैली निकालने से पहले यह लोग नाव और गंगा मइया की पूजा करते हैं। यह एक घाट से उस पार घाट में जाते हैं। वहां पर गंगा की आरती होती है। उसमें मछुआरा समाज के साथ आस-पास रहने वाले लोगों के साथ सहभोज होता है। इसके बाद अपनी-अपनी बात रखते है। यह बहुत अच्छा कार्यक्रम है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित कहते हैं कि मां गंगा न केवल हमारी अस्था का केन्द्र हैं, बल्कि हमारी संस्कृति व सभ्यता की परिचायक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में नमामि गंगे अभियान के तहत निर्मल व अविरल गंगा के संकल्प को भाजपा सरकार ने पूरा किया है। इसलिए नौका रैली के जरिए न हम केवल गंगा की अध्यमिकता और पवित्रता से लोगों को जोड़ रहे है। गंगा के किनारे निवास करने वाले अहम घटकों के योगदान को रेखांकित कर रहे हैं।
(आईएएनएस)