चुनाव से ठीक पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कलह! टीएस देव के बाद भूपेश बघेल और प्रदेश अध्यक्ष मरकाम में तनातनी
- कांग्रेस की कलह, छत्तीसगढ़ में बढ़ी
- बघेल ने कांग्रेस अध्यक्ष को हटाने के लिए हाईकमान से सिफारिश की
- टीएस देव से पहले से ही चल रही है तनातनी
डिजिटल डेस्क, रायपुर। कांग्रेस में न जाने कब आपसी कलह का निपटारा होगा। इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उसके ठीक पहले यहां की स्थिति कुछ खास दिखाई नहीं दे रही है। खबर है कि, सीएम भूपेश बघेल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम में मनमुटाव चल रहा है। दोनों नेताओं में दूरियां इस कदर बढ़ गई है कि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पार्टी हाईकमान से पीसीसी पद से हटाने की सिफारिश तक कर डाली है। सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान बघेल की इस मांग से सकते में आ गया है और विचार-विमर्श में लग गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूपेश बघेल ने आलाकमान से साफ तौर पर कहा है कि मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष को हटा कर किसी दूसरे को मौका दिया जाए ताकि उनके साथ समन्वय बनाकर आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में काम किया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, बघेल और मरकाम में दिन-ब-दिन बात बिगड़ती जा रही है। मुख्यमंत्री को अंदेशा है कि मरकाम ने उनके चिर प्रतिद्वंदी टीएस सिंह देव से हाथ मिला लिया है और आने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों नेता मेरे खिलाफ रणनीति बना सकते हैं। जिसकी वजह से सीएम की 'कुर्सी' पर खतरा में पड़ सकता है।
सीएम की 'कुर्सी' पर आमने-सामने
आपको बता दें कि, साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच सीएम की कुर्सी के लिए खींचतान मची थी। लेकिन तमाम अड़चनों के बावजूद भूपेश ने बाजी मारते हुए सीएम की कुर्सी हासिल कर ली थी। जबकि देव को स्वास्थ्य मंत्री बन कर, संतोष करना पड़ा था। साल 2018 से अब तक देव समर्थकों की मांग रही है कि उन्हें सीएम बनाया जाए। बीते साल ही राज्य की राजनीति में तब सुगबुगाहट आई जब देव समर्थक विधायकों ने मोर्चा खोल दिया था कि टीएस को सीएम बनाया जाए। लेकिन अंदर-अंदर लगी आग को कांग्रेस हाईकमान शांत कराने में सफल रही थी। कुछ ऐसा ही मामला इस बार भी देखने को मिल रहा है।
कांग्रेस में टेंशन
भूपेश बघेल के इस मांग को कांग्रेस हाईकमान बड़ी संजीदा से ले रही है क्योंकि प्रदेश में मोहन मरकाम का दबदबा जबरदस्त है। कहा जाता है कि मरकाम जमीन से जुड़े नेता हैं। साथ ही उनकी पैठ प्रदेश के बहुल आदिवासी इलाके में है। इसी को देखते हुए कांग्रेस बघेल की इस मांग पर विचार-विमर्श कर रही है। कांग्रेस अलाकमान सोच में पड़ी है कि अगर मरकाम को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया तो आगामी चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसी को देखते हुए कांग्रेस आलाकमान ने बघेल से कैबिनेट में जगह तलाशने की बात भी कही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस का मानना है कि अगर आगे चल कर ऐसी कोई परिस्थिति बनती है जिस पर मोहन मरकाम को अध्यक्ष पद से हटाना पड़े तो उनके लिए कोई पद रिजर्व रखा जाए ताकि उनको साधा जा सके।
ढाई साल का फॉर्मूला हुआ 'फूस'
दरअसल, साल 2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी को जबरदस्त जीत मिलने के बाद किसे राज्य का कमान दिया जाए इसको लेकर मंथन दिल्ली में चलने लगा था। तब राज्य के दो वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल और टीएस देव सिंह का नाम सबसे आगे रहा था। इन्हीं दो नेताओं के चेहरे पर कांग्रेस ने जीत भी हासिल की थी। लेकिन मुख्यमंत्री के पद पर पेंच फंस गया था। देव और बघेल दोनों सीएम बनने की बात आलाकमान के सामने रखा चुके थे। कहा जाता है कि, दोनों नेताओं को सीएम पद से कम कुछ भी मंजूर नहीं था। लेकिन तमाम उठापठक बीच हाईकमान ने सीएम के लिए भूपेश बघेल का नाम घोषित कर दिया था। रिपोर्ट्स की मानें तो, कांग्रेस ने ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला बनाया था। जिसमें ढाई साल बघेल तो ढाई साल देव को सीएम बनाने की बात कही गई थी, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जिसको लेकर समय-समय पर देव समर्थक हल्ला बोलते रहते हैं।
सबने मुझसे संपर्क किया
हाल के दिनों में टीएस देव सिंह को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी कि कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की खबरें पढ़ और देख कर देव ने खुद आकर कहा था कि ये खबरे निराधार है सत्य पर आधारित नहीं हैं। मैं कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता हूं और हमेशा रहूंगा। मंत्री देव यह भी दावा कर चुके हैं कि उनसे भाजपा और आम आदमी पार्टी समेत अन्य राजनीतिक दलों ने संपर्क किया था और पार्टी में शामिल होने की बात भी कही थी। लेकिन मैंने साफ माना कर दिया था