चुनावी नतीजे 2023: मध्यप्रदेश, राजस्थान , छत्तीसगढ़ में इस वजह से हार नहीं भांप सकी कांग्रेस, बीजेपी की इस प्लानिंग से सीख लेने की जरूरत!
- बीजेपी की जीत और 2024 लोकसभा चुनाव
- तीन राज्यों के चुनावी नतीजे प्री टेस्ट
- नतीजे आम चुनाव का नरेटिव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक 6 महीने पहले उत्तर भारत के तीन राज्यों में बीजेपी की बंपर जीत को मोदी मैजिक और मोदी की लोकप्रियता माना जा रहा है, जिस पर जनता ने अपने मत देकर मोहर भी लगा दी है। तीन राज्यों में बीजेपी को मिली बंपर जीत ने आगामी आम चुनावों का नरेटिव तो बना दिया है, क्योंकि हिंदी रीजन के जिन तीन राज्यों में बीजेपी को विजय मिली है, सात ही इस रीजन के जिन राज्यों में बीजेपी शासित है उन्हीं से होकर दिल्ली की सत्ता का रास्ता जाता है। तीन राज्यों में बीजेपी की जीत को मोदी की गारंटी और मोदी का नया जातिवाद माना जा रहा है। इन तीन राज्यों में से दो राजस्थान व छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और एक मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार थी।
कांग्रेस को हार से सबक लेते हुए जमीनी प्रबंधन पर काम करने पर विचार करना होगा। नतीजों से ये बाद साफ स्पष्ट हो जाती है कि चुनाव प्रायोजित सर्वे, परसेप्शन और सोशल मीडिया से नहीं जीते जाते। हालांकि ये प्रभावित करते है, लेकिन एक बड़ी जीत दिला दें ये संभव नहीं है। पार्टियों को जीतने के लिए जनमानस को ठीक- ठाक भांपने की जरूरत है। यहां हमे भाजपा और कांग्रेस की चुनाव रणनीति और प्रबंधन के फर्क को समझना जरूरी है। बीजेपी की इस चुनावी जीत को कांग्रेस की चुनावी गारंटी और जातिवाद की राजनीति का नया जवाब माना जा रहा है। कांग्रेस को चुनावी रणनीति बनाने पर विचार विमर्श और मंथन करना चाहिए।
तीन राज्य में बीजेपी की जीत की चुनावी कहानी
छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार की जीत को कन्फर्म मानकर चल रहे थे। लेकिन बीजेपी की बिना सीएम नाम घोषित किए हुए ,बिना हिचक के चुनावी अभियान को तेज करके कांग्रेस की अजेय को पराजय में तब्दील कर दिया।
राजस्थान में बीते 30 सालों से हर पांच साल बाद सत्ता बदलने का रिवाज जरूर है। लेकिन इस रिवाज में अब की चुनावी परिणाम में इतना बहुमत मिल जाएगा ये किसी ने सोचा नहीं था। 2018 में कांग्रेस की गहलोत सरकार बनी थी।
मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ जनता में भले ही 18 साल की नाराजगी सुनाई दे रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ताबड़तोड़ रैली, जनसभा और उनकी जनता के बीच जनप्रिय जैसी भूमिका ने उन्हें जीत दिला थी, मोदी मैजिक और संगठन की ताकत ने इस जीत को और बढ़ा कर दिया। मध्यप्रदेश में बीजेपी ने अपनी रणनीति से बरसों की एंटी इनकम्बेंसी को प्रो- इनकम्बेंसी में बदला।
रेवड़ी कल्चर को लेकर समय समय पर अलग अलग बयान आए। पीएम मोदी ने शुरूआत में रेवड़ी कल्चर को खराब बताया। लेकिन बाद में उन्हीं की पार्टी इसमें खुद रंग गई। कांग्रेस भूल गई थी। केंद्र में बीजेपी की सरकार है, आय के अधिक संसाधन में बीजेपी उनसे आगे है, इसमें वो भाजपा से नहीं जीत सकते। और यहीं हुआ। रेवड़ी कल्चर में किए गए वादों में कांग्रेस बीजेपी से हार गई।
तीनों राज्यों के चुनावी गणित को बीजेपी की रणनीति से समझने का प्रयास करें तो ये तथ्य सामने आता है कि बीजेपी ने बूथ लेवल पर कार्यकर्ताओं को मैनेंज किया। उनकी हाथों में जिम्मेदारी सौंपी। कांग्रेस ने जहां क्षेत्रीय नेताओं पर भरोसा किया वहीं बीजेपी ने राष्ट्रीय स्तर पर मोदी चेहरे को आगे किया। बीजेपी ने ऐसा करके लोकसभा चुनावों की टेस्टिंग कर भी ली। और राजस्थान , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत भी दर्ज कर ली है। इस जीत को आम चुनाव से पहले प्री टेस्ट माना जा रहा है।