केंद्र के अध्यादेश पर सीएम अरविंद केजरीवाल का 'हल्ला बोला', कहा- 'खबरदार अगर तुमने दिल्ली की तरफ आंख उठा कर देखा'

  • एक 'अध्यादेश' पर दो सरकार आमने-सामने
  • सीएम केजरीवाल का रामलीला मैदान में 'महारैली'
  • 'आप' की रैली में सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल हुए शरीक

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-11 04:37 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में सियासत का पारा हाई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल केंद्र के 'अध्यादेश' के खिलाफ दिल्ली स्थित रामलील मैदान में 'महारैली' कर रहे हैं। 'आप' की ओर से दावा किया गया है कि, इस रैली में दिल्ली की जनता के अलावा देश के हर कोने से आए लोग शामिल हुए हैं और केंद्र के 'तानाशाही अध्यादेश' के खिलाफ हुंकार भर रहे हैं। आप ने दावा किया था कि इस महारैली में एक लाख लागों की पहुंचने की उम्मीद है।

इस रैली में दिल्ली के सीएम केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप सांसद राघव चड्ढा, संजय सिंह, दिल्ली कैबिनेट के मंत्री सौरभ भारद्वाज, आतिशी और गोपाल राय जैसे कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं। इन नेताओं के अलावा इस 'महारैली' में वरिष्ठ वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल भी शामिल हुए हैं। जिस पर केजरीवाल ने सिब्बल का आभार भी जताया है।

केजरीवाल का पीएम मोदी पर बड़ा आरोप

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा, "मैं पूरे देश के लोगों को बोलना चाहता हूं ये मत सोचना ये केवल दिल्ली के लोगों के साथ हुआ है। मुझे अंदर से पता चला है ये मोदी जी का पहला वार है। ऐसा ही अध्यादेश और राज्यों के लिए लाया जाएगा। इसे अभी रोकना पड़ेगा।"

हमारे पास 100 सिसोदिया और जैन हैं- केजरीवाल

केजरीवाल ने पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का जिक्र करते हुए कहा, "उन्होंने मनीष सिसोदिया को जेल में डाल दिया, सत्येंद्र जैन को जेल में डाल दिया। हमारे पास एक मनीष सिसोदिया नहीं है, हमारे पास 100 मनीष सिसोदिया हैं, हमारे पास एक सत्येंद्र जैन नहीं है, हमारे पास 100 सत्येंद्र जैन हैं। आप एक को जेल में डालोगे तो दूसरा काम करने आ जाएगा लेकिन दिल्ली में विकास के काम नहीं रुकेंगे।"

केजरीवाल ने बीजेपी को सुनाई खूब खरी खोटी

केजरीवाल केंद्र सरकार के अध्यादेश पर रामलीला में जनसभा को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "2015 में दिल्ली ने सभी 7 सीटें भाजपा को दी, मोदी जी को पीएम बनाया और कहा आप देश संभालों और दिल्ली में 70 में 3 सीट भाजपा को दी 67 सीट आप को दी और कहा केजरीवाल जी आप दिल्ली संभालों। दिल्लीवालों ने भाजपा के लोगों को आंखे लाल कर देखा और बोला आप देश संभालों, खबरदार अगर तुमने दिल्ली की तरफ आंख उठा कर देखा।"

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल रैली में होंगे शामिल

दरअसल, कपिल सिब्बल को केजरीवाल ने केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के विरोध में, रैली में भाग लेने के लिए न्योता दिया था। जिसका स्वीकार सिब्बल द्वारा कर लिया गया है। जिसकी जानकारी आप ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दिया है। आप ने अपने ट्वीट में लिखा, "आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जी के निमंत्रण पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील व राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल जी मोदी सरकार के संविधान विरोधी अध्यादेश के खिलाफ आप की महारैली में शामिल होंगे। संविधान बचाने की इस लड़ाई में कपिल सिब्बल जी का हार्दिक स्वागत है।"

केंद्र बनाम 'आप' की सरकार

आपको बता दें कि, 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को 'ट्रांसफर- पोस्टिंग' का अधिकार दे दिया था। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद केंद्र की सरकार ने एक 'अध्यादेश' लाकर शीर्ष अदालत के इस फैसले को पलट दिया था। जिसके बाद से ही केंद्र और 'आप' की सरकार में ठनी हुई है। केजरीवाल इस अध्यादेश को मोदी सरकार की 'तानाशाही' बता रहे हैं तो वहीं बीजेपी इसे संवैधानिक बता रही है।

क्या है 'अध्यादेश'?

दरअसल, केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी है। जो सीधे राष्ट्रपति के अधीन आता है। ऐसे में दिल्ली की 'आप की सरकार' के बजाय अधिकारियों के फेरबदल का अधिकार राष्ट्रपति के अधीन ही रहेगा। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली में अब अधिकारियों की नियुक्ति नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी यानी एनसीसीएसए के माध्यम से होगी। सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में कहा गया है कि इस एनसीसीएसए के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री ही होंगे। लेकिन मुख्य सचिव व गृह सचिव भी इसके सदस्य होंगे। जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी। अधिकारियों की नियुक्ति के विषय में एनसीसीएसए उपराज्यपाल को सूचना देगी। जिसके बाद उपराज्यपाल फैसला लेंगे। वहीं अगर अधिकारियों के तबादला और नियुक्ति में किसी तरह का कोई विवाद होता है तो अंतिम फैसला दिल्ली के एलजी का ही होगा।

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