बंगाल पंचायत चुनाव: शुभेंदु अधिकारी ने भारी संख्या में तृणमूल उम्मीदवारों के नामांकन की जांच की मांग की

उम्मीदवार नामांकन केंद्रों पर कतार में नहीं थे

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-17 10:09 GMT
Kolkata: Leader of the opposition in the West Bengal Assembly, Suvendu Adhikari addresses a public rally at Shahid Minar maidan in Kolkata on Mar 30, 2023. (Photo: Kuntal Chakrabarty/IANS)
डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार को राज्य पंचायत चुनावों के लिए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवारों द्वारा 14 जून को बेहद कम समय के भीतर भारी संख्या में नामांकन की जांच की मांग की।उन्होंने ट्वीट किया, इस बात की जांच की जानी चाहिए कि टीएमसी ने 14 जून को चार घंटे के भीतर लगभग 40,000 नामांकन और 15 जून को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच 36,000 नामांकन दाखिल गए, जबकि उनके उम्मीदवार नामांकन केंद्रों पर कतार में नहीं थे।

उन्होंने उत्तर 24 परगना जिले से प्रभावशाली तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार शाहजहां शेख पर अपने नामांकन के साथ संलग्न हलफनामे में वित्तीय तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, क्योंकि, यह व्यक्ति, जो कई मछली फार्मों, मछली प्रसंस्करण संयंत्र और संबद्ध व्यवसायों का संचालन करता है, ईंट भट्टों और सर्बेरिया मोड़ में एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का मालिक है, अपने नामांकन पत्रों में बताता है कि उसकी वार्षिक आय केवल 19 लाख 83 हजार है। व्यक्ति जिसके पास कई इमारतें हैं, कई एकड़ जमीन है और हाल ही में पार्क सर्कस कोलकाता में एक नया घर बनवाया है, जिसका मूल्यांकन कई करोड़ रुपये में है अपने नामांकन पत्र में बताता है कि उसकी जमीन और भवन का मूल्य केवल लगभग पांच करोड़ रुपये है।

कथित रूप से वित्तीय तथ्य छिपाने पर आयकर विभाग की जांच शुरू करने की मांग करते हुए अधिकारी ने शाहजहां शेख पर 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उत्तर 24 परगना के बशीरहाट उप-मंडल में कई स्थानीय भाजपा नेताओं की हत्या करने का भी आरोप लगाया।

भाजपा नेता ने ट्विटर पर लिखा, 2019 में लोकसभा चुनावों के बाद बशीरहाट सब डिवीजन में चुनाव बाद हिंसा का सबसे बुरा स्वरूप देखने को मिला। इस ग्राम पंचायत क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदाताओं के भाजपा के पक्ष में वोट करने के कारण शाहजहां शेख ने ये हमले करवाये थे। उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में प्रदीप मंडल और सुकांत मंडल सहित भाजपा के कई अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई थी। चूंकि उन्हें शीर्ष स्तर से संरक्षण प्राप्त था, इसलिए कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सका।

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