स्वास्थ्य/चिकित्सा: डॉक्टरों ने कहा, 'टैटू गुदवाने से हेपेटाइटिस, एचआईवी और कैंसर का खतरा'
अगर आप भी टैटू बनवाने का शौक रखते हैं तो सावधान हो जाइए। डॉक्टरों की राय है कि टैटू बनवाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही और सुई से हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी और लीवर के अलावा ब्लड कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)। अगर आप भी टैटू बनवाने का शौक रखते हैं तो सावधान हो जाइए। डॉक्टरों की राय है कि टैटू बनवाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली स्याही और सुई से हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी और लीवर के अलावा ब्लड कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
आजकल युवाओं में टैटू बनवाने का चलन है। युवा अपने टैटू के जरिए अपने विचारों या जुनून को समाज के सामने रखते हैं, वह अपनी पसंद के अनुसार अपने शरीर पर टैटू गुदवाते हैं।
फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग के एडिशनल डायरेक्टर और मेडिकल ऑन्कोलॉजी के यूनिट हेड सुहैल कुरैशी ने आईएएनएस को बताया, '' स्वास्थ्य को लेकर जोखिम तब होता है जब किसी एक्सपर्ट के हाथों से टैटू नहीं बनवाया जाता। इसकी जानकारी न रखने वाले लोग संक्रमित सुइयों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे हेपेटाइटिस बी, सी या यहां तक कि एचआईवी जैसे संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है।''
स्वीडन में लुंड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 11,905 व्यक्तियों पर एक शोध किया। इस हालिया शोध में टैटू बनवाने वाले व्यक्तियों में लिम्फोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) का जोखिम अधिक पाया गया।
लिम्फोमा का जोखिम उन व्यक्तियों में सबसे अधिक था जिन्होंने पिछले दो साल के भीतर अपना पहला टैटू बनवाया था।
टैटू के संपर्क में आने से होने वाला जोखिम बड़े बी-सेल लिंफोमा और फॉलिक्युलर लिंफोमा के लिए सबसे अधिक था।
गुरुग्राम के सीके बिरला अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट तुषार तायल ने आईएएनएस को बताया, "ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टैटू की स्याही में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) हो सकता है, जो कार्सिनोजेन का एक तत्व है, जिसे त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है। स्याही का एक बड़ा हिस्सा त्वचा से दूर लिम्फ नोड्स में चला जाता है, जहां यह जमा हो जाता है।''
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य विभाग ने भी टैटू स्याही की संरचना का सर्वेक्षण किया और पाया कि लेबलिंग और सामग्री के बीच विसंगति है।
उन्होंने जांचे गए नमूनों में से 20 प्रतिशत और काली स्याही में से 83 प्रतिशत में पीएएच पाया। स्याही में पाए गए अन्य खतरनाक घटकों में पारा, बेरियम, कॉपर और एमाइन जैसी भारी धातुएं तथा अलग-अलग तरह के रंग बनाने वाले तत्व आदि शामिल थे।
सुहैल ने कहा, "ये खतरनाक रसायन त्वचा संबंधी समस्याओं से लेकर त्वचा कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।"
उन्होंने बताया कि स्याही त्वचा से अवशोषित होकर शरीर के लसीका तंत्र में जा सकती है और इससे लीवर, मूत्राशय जैसे कुछ अन्य कैंसरों के साथ-साथ लिम्फोमा और ल्यूकेमिया जैसे ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
टैटू की स्याही में मौजूद खतरनाक रसायन कई प्रकार की खतरनाक बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। जब तक स्वास्थ्य देखभाल अधिकारी ऐसी स्याही की सामग्री को सख्ती से नियंत्रित नहीं करते, तब तक यह जोखिम बना रहेगा।
सुहैल ने कहा, "सभी टैटू स्याही में ये कैंसर पैदा करने वाले रसायन नहीं होते हैं, लेकिन हमें इसे बनवाते वक्त अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि भारत में इसे नियंत्रित करने वाला कोई नियामक ढांचा नहीं है।"
अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|