जीवन शैली: बच्चों को संभालना 'बच्चों का खेल नहीं'

बच्चों को संभालना दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक है। यकीन मानिए, अगर आप इसमें सफल हो जाते हैं, तो आप समझ लीजिए आपने दुनिया जीत ली।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-08-21 07:57 GMT

नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। बच्चों को संभालना दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक है। यकीन मानिए, अगर आप इसमें सफल हो जाते हैं, तो आप समझ लीजिए आपने दुनिया जीत ली।

आजकल ज्यादातर परिवारों में बच्चों में कहना न मानने जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इस बात को लेकर पेरेंट्स परेशान रहते है कि वे क्या करें। उन्हें समझ ही नहीं आता कि आखिर वह ऐसा क्या कहें, जिससे बच्चे उनकी सुनें। ऐसी स्थिति में बच्चों के साथ डील करने के लिए आपको काफी सोच-विचार कर कदम उठाने की जरूरत है।

पेरेंट्स की इसी समस्या का समाधान करने के लिए आईएएनएस ने 'एडुकॉन्सेप्ट्स इंडिया इनिशिएटिव्स' में सलाहकार मनोवैज्ञानिक और डीप ट्रांसफॉर्मेशन कोच प्रगति राव से बात की।

प्रगति ने कहा, ''आज के समय में हमारे बच्चे बहुत आगे निकल चुके हैं। वह ऐसी चीजें एक्सप्लोर कर रहे हैं जो शायद आपने और हमने कभी सोची भी नहीं थी। आज के बच्चों की सोच हमसे कहीं बढ़कर है। जब आप और हम बड़े हो रहे थे तो हमारा माइंड सेट एक फॉलोअर्स वाला था, मगर आजकल के बच्चे लीडर हैं। वह हर चीज की जानकारी रखते हैं। अक्सर आपने भी अपने बच्चों को कहते हुए सुना होगा कि 'आप नहीं समझेंगे', ऐसे में कई बार पेरेंट्स और बच्चों के बीच टकराव भी देखने को मिलता है।''

उन्होंने कहा, ''थोड़े समय पीछे जाएं तो बच्चों को संभालना बेहद आसान था। जो अब बेहद ही मुश्किल होता जा रहा है।''

एक्सपर्ट ने आगे कहा, ''इसके पीछे माता-पिता की भी गलती है क्योंकि वह समय से पहले अपने बच्चों पर अपनी इच्छाएं थोप देते हैं जो बिल्कुल भी सही बात नहीं है। हम समय से पहले चाहते हैं कि हमारा बच्चा बहुत बुद्धिमान हो, इससे बच्चे पर दबाव पड़ता है और उसमें हीन भावना आने लगती है। ऐसे में वह माता-पिता से कटा-कटा सा रहता है और अपने मन की बात खुलकर नहीं बोल पाता। मगर ऐसी स्थिति आने पर माता-पिता कहते हैं कि हमारा बच्चा कहना नहीं मानता, बेहद ही बदतमीज हो गया है।''

उन्होंने आगे बताया, ''बच्चा आपको सामने से कभी जवाब नहीं देगा। वह अपने एक्शन के जरिए आपको बताएगा कि आप उसके साथ गलत कर रहे हैं।''

एक्सपर्ट ने कहा मैंने और आपने 'स्ट्रेस' शब्द शायद काफी लेट से सुना होगा मगर वर्तमान की बात करें तो ये आज के बच्चों के जीवन का हिस्सा बन चुका है।

सोशल मीडिया के बारे में बात करते हुए एक्सपर्ट ने बताया, ''वर्तमान समय की बात करें तो आजकल 90 प्रतिशत बच्‍चों के पास इंस्टाग्राम अकाउंट है। ज्यादातर बच्चे यही मानते हैं कि उनकी उनके दोस्तों से इसी प्लेटफॉर्म के जरिये बातचीत होनी चाहिए, इसमे बच्चों का एक माइंड सेट और है कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने वाले बच्चे 'लो सोशल सर्कल' से आते हैं।

"80 और 90 के दशक के माता-पिता एक ऐसे माहौल से आते हैं जहां सोशल मीडिया कोई मायने नहीं रखता था। कई माता-पिता को मोबाइल भी बहुत बड़ी चीज लगती होगी, ऐसे हम बच्चों पर दबाव डालते हैं कि वह भी सोशल मीडिया से दूर रहे। मगर उसी के उलट बच्चा सोशल मीडिया के लिए बोलता है कि 'सोशल मीडिया मेरी जिंदगी है।''

एक्सपर्ट के मुताबिक, ''यहां हम सोशल मीडिया का विरोध नहीं कर रहे हैं। यहां चिंता की बात यह है कि जब इन प्लेटफॉर्म पर आपके बच्चे गलत हाथों में चले जाते हैं तो चीजें अलग ही लेवल पर चली जाती हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बच्चों को परेशान करना काफी आसान हो गया है। कौन आपके बच्चों से बात कर रहा है आपको कुछ नहीं मालूम, ऐसे में काई बच्चे पोर्नोग्राफी की ओर चले जाते हैं। माता-पिता परेशान हो जाते हैं और कहते हैं कि शायद हमारी ही परवरिश में कोई कमी रह गई होगी।''

यहां पर एक्सपर्ट ने सलाह दी है कि आप अपने बच्चों के दोस्त बनें और उन्हें एक दोस्त की तरह ही ट्रीट करें, क्योंकि सोशल मीडिया आज के समय की जरूरत हो गई है। अगर आप बच्चे पर दबाव डाल रहे हैं कि वह इससे दूर रहे तो वह गलत है। आपको अपने बच्चे के साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है।

सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर उन्होंने कहा कि ऐसे में आपको धैर्य बनाए रखने की जरूरत है। बच्चे से बात करें और एक टाइम पीरियड सेट करें कि उसे सोशल मीडिया पर कितना समय बिताना है।

बच्‍चों के साथ नजदीकी बढ़ाने को लेकर एक्सपर्ट ने कहा, ''अक्सर आपने देखा होगा जब भी आप अपने परिवार के लोगों से मिलते हैं तो उन्हें गले लगाते हैं। इससे आपको सुकून मिलता है, तो क्या आप अपने बच्चों के साथ ये वाली एक्सरसाइज नहीं कर सकते। आपको सिर्फ अपने बच्चों को रोजाना 'एक जादू की झप्पी' देनी है। यकीन मानिए इससे बच्चे का सारा तनाव खत्म होने लगेगा और वह अपने मन की बात आपसे खुलकर कर पायेगा। जब हम एक दूसरे को गले लगाते हैं तो कई तरह के पॉजिटिव हार्मोन रिलीज होते हैं। जो इस चीज में मदद करते हैं कि वह आपके सामने खुलकर अपने दिल की सारी बातें कर सकें।

एक्सपर्ट ने आगे कहा कि अपने बच्चे की सभी परेशानियों पर उनके साथ प्यार से बात करें। अगर वह फिर भी आपको अपने मन की बात नहीं बताता तो आपको उसे एक्‍सपर्ट के पास ले जाने की जरूरत है।

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