राजनीति: 'संविधान हत्या दिवस' भारत के संविधान को कुचलने की याद दिलाएगा पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को कांग्रेस द्वारा लाया गया काला दौर बताते हुए कहा है कि हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय इस बात की याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को कुचल दिया गया था, तब क्या हुआ था। उन्होंने इसे आपातकाल की ज्यादतियों के कारण पीड़ित हुए हर व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन बताया।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-12 11:39 GMT

नई दिल्ली, 12 जुलाई (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को कांग्रेस द्वारा लाया गया काला दौर बताते हुए कहा है कि हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय इस बात की याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को कुचल दिया गया था, तब क्या हुआ था। उन्होंने इसे आपातकाल की ज्यादतियों के कारण पीड़ित हुए हर व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन बताया।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पोस्ट पर रिप्लाई करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, "25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना इस बात की याद दिलाएगा कि क्या हुआ था जब भारत के संविधान को कुचल दिया गया था। यह हर उस व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जो आपातकाल की ज्यादतियों के कारण पीड़ित हुए थे, जो भारतीय इतिहास में कांग्रेस द्वारा लाया गया काला दौर था।"

इससे पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने के निर्णय से जुड़े सरकार के राजपत्र की कॉपी को एक्स पर शेयर करते हुए बताया, "25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण कराएगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।"

शाह ने सरकार के इस फैसले के उद्देश्य की जानकारी देते हुए आगे कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का उद्देश्य उन लाखों लोगों के संघर्ष का सम्मान करना है, जिन्होंने तानाशाही सरकार की असंख्य यातनाओं व उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष किया। 'संविधान हत्या दिवस' हर भारतीय के अंदर लोकतंत्र की रक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की अमर ज्योति को जीवित रखने का काम करेगा, ताकि कांग्रेस जैसी कोई भी तानाशाही मानसिकता भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न कर पाए।"

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