राजनीति: टेलीकॉम पीएलआई के तहत बिक्री 65,320 करोड़ रुपये पहुंची, निर्यात 12,384 करोड़ रुपये रहा केंद्र
टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में आवेदन करने वाली कंपनियों की बिक्री 65,320 करोड़ रुपये हो गई है। इसके साथ ही इन कंपनियों ने 12,384 करोड़ रुपये (30 सितंबर तक) का निर्यात किया है। यह जानकारी सरकार ने बुधवार को संसद में दी।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में आवेदन करने वाली कंपनियों की बिक्री 65,320 करोड़ रुपये हो गई है। इसके साथ ही इन कंपनियों ने 12,384 करोड़ रुपये (30 सितंबर तक) का निर्यात किया है। यह जानकारी सरकार ने बुधवार को संसद में दी।
केंद्रीय संचार राज्य मंत्री, डॉ. चन्द्र शेखर पेम्मासानी ने लोकसभा में लिखित जबाव में कहा कि टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई स्कीम की 42 आवेदक कंपनियों (28 एमएसएमई सहित) ने संचयी रूप से 3,925 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
टेलीकॉम पीएलआई स्कीम की खास बात यह है कि इसमें 33 टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए 4 से लेकर 7 प्रतिशत इंसेंटिव दिए जा रहे हैं। एमएसएमई को पहले तीन साल के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त इंसेंटिव और भारत में डिजाइन उत्पादों के लिए भी एक प्रतिशत अतिरिक्त इंसेंटिव कंपनियों को दिया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए टेक्नोलॉजी, उत्पादों और सेवाओं के अनुसंधान और विकास के फंडिंग के उद्देश्य से 2022 में टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीटीडीएफ) योजना शुरू की गई थी।
बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए पीएलआई स्कीम 2020 में लॉन्च की गई थी। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण में शामिल पात्र कंपनियों को वृद्धिशील बिक्री पर इंसेंटिव दिए जाते हैं।
इसके अलावा सरकार ने देश में प्रमुख वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए रेडी बिल्ट फैक्ट्री (आरबीएफ) शेड/प्लग एंड प्ले सहित सामान्य सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करने के लिए संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना को भी 2020 में अधिसूचित किया था।
सरकार की कोशिश पीएलआई के जरिए भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
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