राष्ट्रीय: सपा के एकतरफा फैसले से यूपी में दरक सकता है 'इंडिया' गठबंधन !

लोकसभा चुनाव के लिए भले ही इंडिया गठबंधन बना हो, लेकिन, सपा मुखिया अखिलेश यादव उसमें एकतरफा फैसले ले रहे हैं। इससे कांग्रेस नाखुश है। लेकिन, कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व खुलकर नहीं बोल रहा है। इस कारण यूपी में 'इंडिया' गठबंधन दरक सकता है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-31 12:41 GMT

लखनऊ, 31 जनवरी (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव के लिए भले ही इंडिया गठबंधन बना हो, लेकिन, सपा मुखिया अखिलेश यादव उसमें एकतरफा फैसले ले रहे हैं। इससे कांग्रेस नाखुश है। लेकिन, कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व खुलकर नहीं बोल रहा है। इस कारण यूपी में 'इंडिया' गठबंधन दरक सकता है।

राजनीतिक जानकार बताते हैं कि यूपी में कांग्रेस का संगठन कमजोर है। सपा को भी यह बात पता है। यही कारण है कि सपा इंडिया गठबंधन में अपने को एक बड़ी भूमिका में रखना चाहती है। नीतीश कुमार के जाने के बाद सपा को कांग्रेस पर अपना दबाव बढ़ाने का मौका मिल गया है।

इसी कारण से उन्होंने सबसे पहले कांग्रेस को बिना बताए ही रालोद के साथ गठबंधन कर लिया और उन्हें सात सीटें भी दे दी। जब तक यह चल ही रहा था कि इसी बीच सपा ने कांग्रेस को 11 सीटें देने की घोषणा कर दी। इसके बाद 16 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी कर दी।

इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस के लोग ज्यादा खुश नहीं हैं। इससे एक बात तो बिलकुल साफ है कि सपा सीट शेयरिंग अपने हिसाब से ही करेगी। वह यूपी में कांग्रेस को भाव देने वाले नहीं हैं।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, "हमारी पार्टी इंडिया गठबंधन में लीड भूमिका अदा कर रही है। लेकिन, सपा लगातार गठबंधन धर्म की अवहेलना कर रही है। पहले हमारे शीर्ष नेतृत्व को बिना विश्वास में लिए ही महज 11 सीटें दे दी। इसके बाद अब अपने मन से 16 सीटें घोषित कर दी। उन सीटों में फैजाबाद, फर्रुखाबाद, खीरी, कानपुर देहात और धौरहरा में कांग्रेस ज्यादा समय तक चुनाव जीतती रही है। इस बार भी कार्यकर्ताओं ने बड़ी तैयारी कर रखी है। लेकिन, सपा के एकतरफा निर्णय से हमारे कार्यकर्ता काफी निराश हैं। इन्हें फैसला बदलना पड़ेगा। शीर्ष नेतृत्व को इस पर हस्तक्षेप करना पड़ेगा।"

कांग्रेस के प्रवक्ता अंशू अवस्थी कहते हैं, "लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस बहुत महत्तवपूर्ण है, ऐसे में पार्टी और उनके कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान करना इंडिया गठबंधन के दलों की जिम्मेदारी है। जिससे लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ता पूरी क्षमता से गठबंधन के प्रत्याशी को जिताने में जुटेंगें। भाजपा दिन-रात गठबंधन को तोड़ने और कमज़ोर करने में लगी है, ऐसे में देश के लोकतंत्र और लोगों के अधिकार बचाने के लिए बहुत बड़े मन के साथ जुटने की जरुरत है। सपा इंडिया गठबंधन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, ऐसे में गठबंधन धर्म में सीटों के बंटवारे की स्थिति सकारात्मक और सम्मानित तरीके से हो, जिससे पार्टी के कार्यकर्ता सामूहिक ताकत बनकर जुटें। हमें पूरा भरोसा है कि क्षेत्रीय दल इस बात को समझेंगे।"

सपा प्रवक्ता सुनील साजन कहते हैं, "कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन है, जो भी सीटें घोषित हुई हैं। वह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत के बाद हो रही हैं। जो अभी 16 सीटें घोषित हुई है। उनमें कांग्रेस की दी गई 11 सीटें शामिल नहीं हैं। अगर उनके प्रदेश नेतृत्व को कोई दिक्कत है तो वह अपने केंद्रीय पदाधिकारियों से बात करें।"

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं, "विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल सपा, कांग्रेस व रालोद मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। रालोद से सात सीटों पर समझौता करने के बाद अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ 11 सीटों पर गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। इंडिया गठबंधन में शामिल दल अपने-अपने राज्यों में मजबूत हैं। वो कांग्रेस की सलाह मानें, ऐसा लगता नहीं है। इसी कारण पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान फिर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है। उधर नीतीश ने पहले ही पाला बदल लिया है।

अब, यूपी में सपा सीट बंटवारे में मनमानी करेगी और कांग्रेस पर लगातार दबाव देगी। कांग्रेस को झुकना पड़ेगा। इसके अलावा उसके सामने कोई रास्ता नहीं बचा है। वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम से कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी दबाव में है, साथ ही पिछले कई चुनाव में उसका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा है। अगर दोनों दलों में सामंजस्य नहीं दिखा तो गठबंधन दरक सकता है।"

--आईएएनएस

विकेटी/एबीएम

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