राष्ट्रीय: जन प्रतिनिधियों का आचरण संसदीय मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए : ओम बिरला

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने योजना बनाकर सदन में हंगामा करने और सदन की कार्यवाही को बाधित करने को अनुचित बताते हुए कहा है कि सदन में सुनियोजित व्यवधान से विरोध एवं असहमति नहीं जताई जानी चाहिए और जन प्रतिनिधियों का आचरण संसदीय मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-27 16:39 GMT

मुंबई/नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने योजना बनाकर सदन में हंगामा करने और सदन की कार्यवाही को बाधित करने को अनुचित बताते हुए कहा है कि सदन में सुनियोजित व्यवधान से विरोध एवं असहमति नहीं जताई जानी चाहिए और जन प्रतिनिधियों का आचरण संसदीय मर्यादा के अनुरूप होना चाहिए।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को मुंबई स्थित महाराष्ट्र विधान मंडल के परिसर में 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) का उद्घाटन करते हुए विधान मंडलों में अनुशासनहीनता, कार्यवाही में व्यवधान और असंसदीय आचरण की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे विधान मंडलों की विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में असहमति व्यक्त करने के लिए गुंजाइश है, इसलिए व्यवधान के माध्यम से विरोध और असहमति नहीं जताई जानी चाहिए। विधान मंडलों की प्रतिष्ठा और गरिमा को बनाए रखना और विधान मंडलों में मर्यादापूर्ण आचरण को बनाए रखना सर्वोपरि है, लेकिन, यह चिंता का विषय है कि इन मुद्दों पर आम सहमति होने के बावजूद, हम अभी तक सदन के सुचारू कामकाज के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू नहीं कर पाए हैं।

इस बात पर जोर देते हुए कि जन प्रतिनिधियों का आचरण संसदीय मर्यादाओं के अनुरूप होना चाहिए बिरला ने सदस्यों से सदन में अपना समय रचनात्मक कार्यों में लगाने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हो तो नियमों में बदलाव करते हुए ठोस और निश्चित कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विधान मंडल बिना किसी व्यवधान के कार्य करें।

बिरला ने कहा कि संसदीय समितियां वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कानूनों और नीतियों को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। संसदीय समितियां वास्तव में 'मिनी संसद' हैं और वे संसद की ओर से इन कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों की समीक्षा करती हैं और उन्हें जनता के लिए अधिक उपयोगी बनाती हैं। संसदीय समितियां सहयोग और समावेशिता की भावना से काम करें, सभी पक्षों के सामूहिक ज्ञान का उपयोग करते हुए रचनात्मक चर्चा-संवाद करें और परिणाममूलक बनें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम में सम्मेलन को संबोधित किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोरहे और महाराष्ट्र विधान सभा के उपाध्यक्ष नरहरि सीताराम झिरवाल भी उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे और विशिष्ट सभा को संबोधित किया। उद्घाटन सत्र में 26 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया।

--आईएएनएस

एसटीपी/एबीएम

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