भारत का विरोध करने वाली कांग्रेस अब भगवान राम का भी कर रही विरोध : सुधांशु त्रिवेदी

नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस) । भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस द्वारा अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि बहिष्कार करने की अपनी प्रवृत्ति को दोहराते हुए कांग्रेस ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-11 07:36 GMT

नई दिल्ली, 11 जनवरी (आईएएनएस) । भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस द्वारा अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि बहिष्कार करने की अपनी प्रवृत्ति को दोहराते हुए कांग्रेस ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति ईर्ष्या और द्वेष की भावना से ग्रस्त होकर भारत के विरोध तक चले जानी वाली कांग्रेस अब भगवान राम के विरोध तक चली गई है। कांग्रेस के बहिष्कार की इसी प्रवृत्ति के कारण देश की जनता भी उन्हें सत्ता से बहिष्कृत करती जा रही है, लेकिन उनकी बुद्धि सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है।

भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि किसी भी अच्छे से अच्छे अनुष्ठान में विघ्न उत्पन्न करके संतोष प्राप्त करने वाली प्रवृत्ति की परिचायक कांग्रेस के साथ पता नहीं कौन सी समस्या है कि भारत का इतिहास जब-जब करवट ले रहा होता है, तब-तब वो उस अवसर के साथ खड़े न होकर उसका बहिष्कार करते हैं।

उन्होंने कहा कि अभी कुछ महीने पहले ही कांग्रेस ने देश के नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया। देश में ऐतिहासिक टैक्स सुधार से जुड़े जीएसटी के लागू करने के कार्यक्रम का भी कांग्रेस ने बहिष्कार किया था। यहां तक कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया के सबसे शक्तिशाली 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष भारत आए थे, उनके सम्मान में राष्ट्रपति द्वारा दिए गए भोज का भी कांग्रेस ने बहिष्कार किया।

देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद और वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण का बहिष्कार किया। 2004 के बाद 2009 तक कांग्रेस ने कारगिल विजय दिवस का बहिष्कार किया। मई 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के नेतृत्व में हुए पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद 10 दिन तक कांग्रेस ने कोई बयान नहीं दिया था। यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी , जो कि इनकी अपनी पार्टी के नेता थे, उनके भारत रत्न समारोह का भी कांग्रेस ने बहिष्कार किया था और अब कांग्रेस ने अयोध्या में होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का भी बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है, जबकि इसके जरिए 500 साल के संघर्ष के बाद भारत का स्वाभिमान उभर का सामने आ रहा है।

त्रिवेदी ने कहा कि बहिष्कार का यह फैसला भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और हिंदुत्व के प्रति कांग्रेस के अंदर के विरोध को दर्शाता है। बाबरी मस्जिद के लिए पैरोकारी करने वाले इकबाल अंसारी को भी न्यौता दिया गया है, वो आने को तैयार हैंं, लेकिन वोट के लालच में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल हाहाकार मचाने को तैयार है। यहां तक कि राम भक्तों पर गोली चलाने वाले को भी न्यौता भेजा गया है। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से निष्प्राण होते जा रहे दल की प्रतिष्ठा भी अब समाप्त हो गई।

भाजपा प्रवक्ता ने देश की आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का उल्लेख करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के पत्र का भी जिक्र करते हुए कहा कि ,जब सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी, तो जवाहर लाल नेहरू ने 24 अप्रैल, 1951 को उस समय सौराष्ट्र के प्रमुख ( तकनीकी तौर पर मुख्यमंत्री ) द्वारा दिए गए निमंत्रण के जवाब में उन्होंने लिखा था कि, " इस कठिन समय में इस समारोह के लिए दिल्ली से मेरा आना संभव नहीं है। इस समारोह के बारे में मैं अपने विचार स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं इस पुनरुत्थानवाद से बहुत परेशान हूं, मेरे लिए बहुत कष्टकारक है कि मेरे राष्ट्रपति, मेरे कुछ मंत्री और राजप्रमुख होने के नाते आप सोमनाथ के इस समारोह से जुड़े हुए हैं और मुझे लगता है कि ये मेरे देश की प्रगति के अनुरूप नहीं है, इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। "

जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए त्रिवेदी ने आगे कहा कि कांग्रेस के पास इस बार मौका था कि वे अपने आप को बदल कर दिखा सकते थे। परंतु इस बार भी अपनी प्रवत्ति के अनुरूप कांग्रेस ने बहिष्कार का ही फैसला किया। उन्होंने वर्तमान कांग्रेस को नेहरू की कांग्रेस बताते हुए कहा कि यह गांधी (महात्मा गांधी ) की कांग्रेस नहीं है, क्योंकि महात्मा गांधी का राजनीतिक दर्शन ही राम राज्य था। एक सवाल के जवाब में भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से दिया जा रहा है और भगवान के दर पर कोई अपना-पराया नहीं होता लेकिन कांग्रेस बहिष्कार करने के लिए बहाना कर रही है।

--आईएएनएस

एसटीपी/सीबीटी

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