राजनीति: बिहार राष्ट्रीय लोजपा ने बढ़ाई सक्रियता, बेटे को 'विरासत' सौंपने की तैयारी में पारस
बिहार में चार विधानसभा क्षेत्रों में हुए उप चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 243 सीटों पर तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान पार्टी में अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के प्रमुख पशुपति कुमार पारस की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र यश राज को सौंपने को लेकर मंथन शुरू हो गया है।
पटना, 27 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार में चार विधानसभा क्षेत्रों में हुए उप चुनाव के बाद राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अपनी सक्रियता बढ़ाते हुए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 243 सीटों पर तैयारी शुरू कर दी है। इस दौरान पार्टी में अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के प्रमुख पशुपति कुमार पारस की राजनीतिक विरासत उनके पुत्र यश राज को सौंपने को लेकर मंथन शुरू हो गया है।
दरअसल, राष्ट्रीय लोजपा फिलहाल न एनडीए के साथ नजर आ रही है और न ही महागठबंधन के साथ है। ऐसे में पटना में 19 और 20 नवंबर को दो दिनों तक चली पार्टी की बैठक में सभी 243 सीटों पर तैयारी शुरू करने का निर्णय ले लिया है।
इस दौरान पार्टी ने कार्यकर्ताओं से कल यानी 28 नवंबर को लोजपा के स्थापना दिवस पर लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के पैतृक गांव शहरबन्नी पहुंचने की अपील की है। राष्ट्रीय लोजपा यहां लोजपा का स्थापना दिवस मनाएगी।
बताया जा रहा है कि पार्टी के प्रमुख पारस के पुत्र यश राज ने अलौली से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस समारोह के बाद अलौली विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव जाएंगे।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहते हैं कि अलौली की जनता यश राज को अगले विधानसभा चुनाव में लड़ाना चाहती है। वैसे, पार्टी में इसका निर्णय संसदीय बोर्ड द्वारा किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने फिलहाल 243 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव के समय देखा जाएगा कि किस गठबंधन के साथ जाना है।
उन्होंने यश राज को पारस की विरासत संभालने से जुड़े प्रश्न पर कहा कि उनके खून में राजनीति है और उनको राजनीति की समझ भी है। अलौली की जनता भी उन्हें पसंद करती है। अलौली से पूर्व मंत्री पारस भी विधायक रह चुके हैं। ऐसे में अगर उनके पुत्र चुनाव लड़ते हैं तो क्या बुराई है?
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